केरल के कन्नूर में तीन पर्यावरण प्रेमियों ने वो तारीफ के काबिल है। केरल के कन्नूर में तीन पर्यावरणप्रेमियों ने लगभग दिनों दुनिया के सबसे जहरीले सांप किंग कोबरा के दर्जनों अंडों की लगभग 100 दिनों तक देखभाल की। इसका नतीजा ये रहा कि कन्नूर के घने जंगलों में आज किंग कोबरा के कई जिंदा बच्चे पल रहे हैं। एनडीटीवी की एक रिपोर्ट के मुताबिक लेकिन इन सांपों को बचाना इतना आसान नहीं था। दरअसल इसी साल अप्रैल में वन विभाग के रैपिड रिस्पॉन्स फोर्स के सदस्य चन्द्रन एमपी को सूचना मिली की कोट्टिअयूर में एक किंग कोबरा देखा गया है। बाद में चन्द्रन एमपी ने अपने साथियों विजय नीलकंथन और गौरी शंकर के साथ मिलकर इस सांप के घोसले को ढूंढ़ निकाला। इन लोगों ने यहां पर किंग कोबरा के दर्जनों अंड़ों को पाया। लेकिन तब तक लोगों के डर से सांपिन गायब हो गई थी। इसके बाद चन्द्रन एमपी और उनके साथियों की सांप के इन अंडों को बचाने की अथक कोशिश शुरू हुई। स्थानीय लोग सांप के अंडों से इतना डर गये थे कि वे तुरंत इसे नष्ट करना चाहते थे। लेकिन इन लोगों ने कहा कि सांपों से इन्हें कोई नुकसान नहीं होगा। जैसे ही अंडों से किंग कोबरा के बच्चे बाहर आएगें उन्हें घने जंगलों में छोड़ दिया जाएगा।


बता दें कि सांप के बच्चों को अंडों से बाहर निकलने में 80 से 105 दिन तक का वक्त लगता है। इन तीनों लोगों ने इसके बाद इन सांपों की देखभाल शुरू की। सांप के घोसले से 90 किलोमीटर दूर रहने के बावजूद ये लोग वहां पर आते और तकरीबन रोज इन अंडों की खोज खबर लेते और इनके जैविक विकास का अध्ययन करते। 72 दिन के बाद जब अंडों से सांप के निकलने का वक्त आया तो इन लोगों ने लगातार निगरानी शुरू कर दी। 100 दिन पूरा होने पर अंडों से सांप निकलना शुरू हुए।
जब अंडों से सारे सांप निकल गये तो गांव वाले घबरा गये। जल्द ही इन सांपों को घने जंगलों में छोड़ दिया गया। नीलकंथन का कहना है कि पहले किंग कोबरा का देखा जाना, फिर अंडों की खोज इसके बाद लोगों को अंडों को नष्ट ना करने के लिए मनाना, फिर 100 तक इनकी निगरानी ये पूरी प्रक्रिया बेहद ही रोमांचक है, ये एक रिवॉर्ड हैं।