बेंगलुरु में पैनल चर्चा के दौरान बयानों पर माहौल गर्मा गया और कश्मीरी पंडित नेता व आजादी समर्थक कश्मीरी लोगों के बीच तीखी बहस हो गई। कश्मीरी पंडित नेता और पूर्व पत्रकार आरके मट्टू ने कश्मीर में सेना की कार्रवाई का समर्थन किया था। उन्होंने कहा, ”वर्तमान में सेना उत्तर-पूर्व, कश्मीर और कई अन्य जगहों पर सेना तैनात है। मैं आपसे गर्व से कहता हूं कि भारतीय सेना दुनिया की अनुशासित सेनाओं में से एक है।” इस पर आजादी समर्थक कश्मीरी लोगों ने आपत्ति जताई, इस पर बहस हो गई। इसके बाद पैनल में शामिल लोगों को शांति बनाए रखने की अपील करनी पड़ी। दोनों पक्षों को चुप कराने के लिए पुलिस को भी दखल देनी पड़ी।
कार्यक्रम का आयोजन यूनाइटेड थियोलॉजिकल कॉलेज में एमनेस्टी इंटरनेशनल ने किया था। इसका नाम ‘ब्रोकन फैमिलीज’ था और कश्मीर की समस्या इसका विषय था। इसके तहत कश्मीर के कुछ परिवारों को बुलाया गया था। बताया जा रहा कि कार्यक्रम के दौरान भारतीय सेना के खिलाफ नारे लगाए गए। माहौल जब शांत हुआ तो मट्टू ने एमनेस्टी इंटरनेशनल से कश्मीरी पंडितों की पीड़ा को हाईलाइट करने की अपील की। मट्टू ने कहा कि कश्मीर में केवल मुस्लिम भाई ही परेशान होते हैं यही सच नहीं है वहां पर कश्मीरी पंडित भी आतंक के शिकार हुए हैं। उन्होंने कहा, ”हम भी पीडि़त हैं और आप भी। कृपया सीमापार से पाकिस्तान को इस स्थिति का फायदा मत उठाने दो। हम 27 साल से शरणार्थी होने का दर्द झेल रहे हैं।”
पैनल डिस्कशन के बाद वहां पर कश्मीर की आजादी के समर्थन में नारे लगाए और वहां से चले गए। शनिवार को अखिल भारतीय विद्याथी परिषद्(एबीवीपी) के कार्यकर्ताओं ने कॉलेज के बाहर प्रदर्शन किया। एबीवीपी कार्यकर्ताओं ने कहा कि यह सब बर्दाश्त नहीं किया जाएगा।

