स्कूल में भगवद गीता अनिवार्य करने के बाद शुरू हुए विवाद में अब बेंगलुरु आर्क बिशप पीटर मचाडो ने कहा कि बाइबल और कुरान को धार्मिक ग्रंथ बताकर स्कूलों में पढ़ाने की अनुमित नहीं दी गई। उन्होंने गुरुवार (28 अप्रैल, 2022) को कर्नाटक के शिक्षा मंत्री बीसी नागेश पर निशाना साधते हुए कहा कि उन्होंने नैतिक शिक्षा के नाम पर गीता पढ़ाने की वकालत की है लेकिन बाइबल और कुरान को धार्मिक ग्रंथ बताकर खारिज कर दिया।
दरअसल, कल बीसी नागेश ने कहा था कि बाइबल और कुरान धार्मिक ग्रंथ हैं लेकिन भगवद गीता एक ऐसी किताब है जो जीवन जीने के लिए आवश्यक मूल्यों के बारे में बताती है। इस पर आर्क बिशप ने सवाल करते हुए कहा कि अगर बच्चों को गीता या अन्य धर्मों की किताब खरीदने के लिए कहा जाता है तो क्या ये उन्हें उस विशेष धर्म में परिवर्तित करने के लिए प्रेरित करने का प्रयास नहीं है।
आज आर्क बिशप ने कहा, “गैर-ईसाई छात्रों को बाइबल पढ़ने की आवश्यकता नहीं है और न ही उनके लिए बाइबल के कोई निर्देश हैं। शिक्षा मंत्री ने कहा कि भगवद गीता को अगले साल से नैतिक शिक्षा के लिए पढ़ाया जाएगा, जबकि बाइबल और कुरान को धार्मिक ग्रंथ माना जाता है और उन्हें अनुमति नहीं दी जाएगी।”
आर्क बिशप ने कहा कि वे दावे से ये बात कह सकते हैं कि उनके (ईसाई) स्कूल में दूसरे धर्म का कोई भी बच्चा ईसाई नहीं बना है। उन्होंने कहा कि शिक्षा विभाग अब जांच कर यह पता लगाने की कोशिश कर रहा है कि हमारे स्कूलों में बाइबल पढ़ाई जाती है या धर्म पढ़ाया जाता है।
कैसे शुरू हुआ विवाद
बता दें कि कर्नाटक के क्लेरेंस हाई स्कूल में गैर-इसाई छात्रों के लिए भी बाइबल की कक्षाएं अनिवार्य की गई हैं, जिस पर अभिभावकों ने आपत्ति जताई है। क्लेरेंस हाई स्कूल ने अभिभावकों से एक घोषणा पत्र पर हस्ताक्षर लिए हैं कि वे अपने बच्चों को स्कूल में बाइबल लाने के लिए मना नहीं करेंगे। इस पर हिंदू जनजागृति समिति ने क्लेरेंस स्कूल पर धर्मांतरण को बढ़ावा देने का आरोप लगाया है। मंगलवार (26 अप्रैल, 2022) को समिति के सदस्यों ने नागेश से मुलाकात कर एक ज्ञापन सौंपा और इस मामले में उनके हस्तक्षेप की मांग की है।