कर्नाटक चिकमंगलूर के देवीराममा हिल मंदिर में नरक चतुर्दशी के अवसर पर दर्शन के लिए पहुंची हजारों श्रद्धालुओं की भीड़ से भगदड़ मच गई। इसके कारण कई लोग घायल हो गए। गुरुवार को देवीराममा (Deviramma) पहाड़ी पर श्रद्धालुओं की भारी भीड़ उमड़ पड़ी थी। ये लोग भगवान बिंदिगा देवीराममा (Bindiga Deviramma) के दर्शन के लिए वहां पहुंचे थे। देवीराममा पहाड़ी पर स्थित यह मंदिर केवल नरक चतुर्दशी के दिन खुलता है। भक्तों के लिए बहुत ही पवित्र और आस्था का बड़ा केंद्र है।
पथरीले और कांटेदार रास्ते पर श्रद्धालु नंगे पांव ही चल रहे थे
चिकमंगलुरु (Chikkamagaluru) के मल्लेनहल्ली (Mallenahalli) में मंदिर मेले की शुरुआत ने पूरे क्षेत्र में भक्ति की लहर दौड़ा दी। अडिग विश्वास और समर्पण के भाव से भक्त नंगे पांव ही पथरीले और कांटेदार रास्ते पर चल रहे थे। भगवान का आसन समुद्र तल से करीब 3,000 फीट की ऊंचाई पर स्थित है, जहां पहुंचना एक श्रद्धालु के लिए उसके आस्था और दृढ़ संकल्प की परीक्षा होती है।
श्रद्धालु बुधवार शाम से ही पहाड़ी की ओर बढ़ने लगे और रात के समय चढ़ाई शुरू की। अधिकतर भक्त मल्लेनहल्ली मार्ग से पहुंचे, लेकिन कई लोगों ने माणिक्यधारा (Manikyadhara) जलप्रपात का रास्ता चुना। कुछ श्रद्धालु बागानों के रास्ते से अर्शिनगुप्पे (Arshinaguppe) भी आए। बुधवार रात को हुई बारिश के कारण पहाड़ी पर फिसलन हो गई थी, जिससे चढ़ाई करना मुश्किल हो रहा था। हालांकि, भक्तों ने एक-दूसरे की मदद की और हाथ पकड़कर चढ़ते रहे।
पहुंचने वाले भक्तों की सुरक्षा के लिए पहाड़ी पर पुलिस और अग्निशामक कर्मियों को तैनात किया गया था। उन्होंने रस्सियों की मदद से श्रद्धालुओं को चढ़ने में सहायता की। मंदिर में भक्तों को प्रसाद भी वितरित किया गया। बारिश की वजह से कई लोग फिसलकर गिर गए, जिससे कुछ को चोटें आईं। फिसलन भरी पहाड़ी पर एक के ऊपर एक गिरने से कई भक्तों के हाथ-पैर टूट गए। बेंगलुरू की सिंधु और दिव्या के पैर में फ्रैक्चर हुआ, जबकि मंगलुरु की जयम्मा को निम्न रक्तचाप की समस्या का सामना करना पड़ा। तारिकेरे का एक युवक, वेणु, गंभीर चोट के साथ अस्पताल में भर्ती है।
श्रद्धालुओं के लिए केएसआरटीसी ने कदुर, बिरुर और चिकमंगलुरु से मल्लेनहल्ली तक विशेष बस सेवाएं शुरू की थीं। पहाड़ी की ओर जाने वाले रास्तों पर भारी यातायात था। श्रद्धालुओं का उत्साह देखकर स्पष्ट था कि यह धार्मिक यात्रा उनके लिए कितनी महत्वपूर्ण थी, और उन्होंने सभी कठिनाइयों का सामना किया। देवीराममा पहाड़ी पर श्रद्धालुओं की यह भीड़ हर साल की तरह इस बार भी भगवान के प्रति उनकी अटूट श्रद्धा का प्रमाण है।