राष्ट्रीय स्वंयसेवक संघ के कार्यकर्ता शरद मादीवाला की शुक्रवार (7 जुलाई) की रात को मौत हो गई। जिसके बाद दक्षिण कन्नड़ जिले के बंतवाल जिले में हुए अंतिम संस्कार में शामिल लोगों में से कुछ ने हिंसा की। वे लोग कथित तौर पर पुलिस से उलझ गए थे और उन्होंने पत्थरबाजी भी की थी। स्थिति को काबू में करने के लिए पुलिस ने लाठी चार्ज भी किया था। पुलिस ने बताया कि उन्होंने हिंसा कर रहे 30 लोगों को पकड़ा भी था। जिसमें बीजेपी सांसद शोभा करनडालजे और नलिन कुमार कतिल भी शामिल थे। उन लोगों पर विरोध और हिंसा करने का आरोप था।
आरएसएस कार्यकर्ता शरद मादीवाला संघ की शाखा में फिजिकल ट्रेनिंग दिया करते थे। चार जुलाई की रात को उनपर उस समय हमला हुआ था जब वह बीसी रोड पर अपनी लाउंड्री शाप के बाद घर जा रहे थे। हमले के बाद पास में फल बेचने वाले अब्दुल रौउफ मादिवाला को हॉस्पिटल लेकर गए थे। शुक्रवार की रात को मादिवाला की मौत हो गई। पुलिस के मुताबिक, तीन लोगों ने हमला किया था और वे बाइक पर आए थे।
मादिवाला के पिता ने इंडियन एक्सप्रेस से कहा कि उनको पुलिस पर भरोसा नहीं है कि वे लोग उनके बेटे के कातिल को ढूंढ पाएंगे। उन्होंने कहा कि वहां ऐसी घटनाएं बढ़ गई हैं। उन्होंने कहा कि जब पुलिस पहले के मामलों को ही नहीं सुलझा पाई तो उनके बेटे को न्याया कहां से दिलाएगी ?
घटना के लिए बीजेपी के कई सीनियर नेताओं ने राज्य सरकार पर निशाना साधा। बीजेपी नेताओं ने आरोप लगाया कि सिद्धारमैया सरकार ऐसा माहौल बना रही है। एनआईए जांच की मांग भी की गई है। वहीं सिद्धारमैया ने कहा कि आरोपियों को जल्द से जल्द पकड़कर एक्शन लिया जाएगा।
इलाके में काफी दिनों से सांप्रदायिक तनाव है। पुलिस को शक है कि यह घटना भी उससे ही जुड़ी है। पिछले दो महीनों में चाकूबाजी की काफी घटनाएं सामने आई हैं। यह सब झेलने वालों में बहुसंख्यक और अल्पसंख्यक दोनों तरफ के लोग हैं। वहां सांप्रदायिक हिंसा होती रहती है जिसके एक तरफ बजरंग दल, हिंदू जागरण और वीएचपी है वहीं दूसरी तरफ एसडीपीआई और पीएफआई जैसे मुस्लिम ग्रुप।
