दिल्ली पब्लिक स्कूल की एक टीचर को ‘अबाया’ (लंबा और ढीला लिबास, जिसे अधिकतर मुस्लिम महिलाएं पहनती हैं) पहनने के लिए हटाए जाने के तीन दिन बाद राज्य सरकार हरकत में आई है। राज्य सरकार ने कहा कि यह एक गंभीर मामला है और जम्मू-कश्मीर फ्रांस नहीं है। आरोप है कि स्कूल मैनेजमेंट ने महिला से कहा कि वह अबाया और अपनी नौकरी में किसी एक को चुन ले। इसके बाद, महिला टीचर ने इस्तीफा दे दिया। बता दें कि घटना बुधवार को हुई, लेकिन पूरा मामला शुक्रवार को सामने आया। टीचर को नौकरी बहाल करने की मांग करते हुए कुछ विद्यार्थियों शनिवार को स्कूल परिसर में विरोध प्रदर्शन किया। शुक्रवार को भी कुछ स्टूडेंट्स ने क्लास का बहिष्कार किया और मैनेजमेंट से माफी की मांग की थी।
विधानसभा में निर्दलीय विधायक शेख अब्दुल रशीद द्वारा यह मुद्दा उठाए जाने पर शिक्षा मंत्री नईम अख्तर ने सदन में कहा कि हम एक बहु-धार्मिक, बहु-संस्कृति और धर्मनिरपेक्ष देश में रहते हैं। जहां किसी को एक खास तरह का परिधान पहनने के लिए बाध्य नहीं किया जा सकता। हम फ्रांस नहीं हैं। राज्य में पीडीपी और बीजेपी सरकार के प्रवक्ता नईम दरअसल फ्रांस की ओर से पब्लिक स्कूलों में पगड़ी, स्कार्फ या किसी अन्य धार्मिक प्रतीक के इस्तेमाल पर लगाए गए बैन का जिक्र कर रहे थे। नईम ने बताया, ‘‘यह एक निजी स्कूल है। हम प्रबंधन से संपर्क करेंगे और सच्चाई का पता लगाने की कोशिश करेंगे।’’ नईम ने यह भी कहा कि वे इस बारे में डीपीएस प्रशासन से जानकारी मांगेंगे।
स्टूडेंट्स का कहना है प्रिंसिपल ने उन्हें बताया कि स्कूल प्रशासन सिर्फ नियमों का पालन कर रहा है और उसने टीचर को इस बारे में चेतावनी दी थी। बच्चों के मुताबिक, प्रिंसिपल ने उनसे कहा कि नियमों के मुताबिक, कोई भी महिला टीचर ड्यूटी के घंटों में परिसर के अंदर अबाया नहीं पहन सकती। सरकार के अलावा अब अलगाववादी भी इस मुद्दे में कूद पड़े हैं। उनका कहना है कि स्कूल में अबाया पहनने पर प्रतिबंध लगाना धार्मिक स्वतंत्रता में दखल है। हुर्रियत के चेयरमैन सैयद अली शाह गिलानी ने कहा कि जम्मू-कश्मीर एक मुस्लिम बहुल राज्य है और इस्लामिक लिबास पहनने पर आपत्ति करने के गंभीर नतीजे हो सकते हैं। गिलानी ने मांग की कि स्कूल प्रशासन को बिना शर्त माफी मांगनी चाहिए।