झारखंड पुलिस अब रांची हिंसा के आरोपियों के खिलाफ कार्रवाई की तैयारी में है। पुलिस प्रशासन ने उपद्रवियों की फोटो जारी कर दी हैं। इन तस्वीरों में किसी के हाथ में पत्थर तो कोई लाठी लिए नजर आ रहा है।
बता दें कि पैगंबर पर विवादित टिप्पणी के विरोध में बीते शुक्रवार (10 जून, 2022) को जुमे की नमाज के बाद रांची में हिंसक प्रदर्शन हुए। इस दौरान काफी संख्या में प्रदर्शनकारी शामिल हुए और उन्होंने खूब उपद्रव मचाया। इस दौरान, तोड़फोड़, आगजनी और पत्थरबाजी की घटनाएं सामने आईं।
इससे पहले सोमवार को झारखंड के राज्यपाल रमेश बैस ने निर्देश दिए कि प्रदर्शन में शामिल लोगों की तस्वीरें जारी कर होर्डिंग लगाए जाएं, ताकि उनके नाम और पते का पता लगाया जा सके। इस तरह जनता इन लोगों को पहचना पाएगी और पुलिस की भी मदद होगी।
राज्यपाल ने लिया स्थिति का जायजा, कार्रवाई को लेकर प्रशासन से किए सवाल
दूसरी तरफ, राज्यपाल ने हिंसा के बाद स्थिति का जायजा लिया और उपद्रवियों पर कार्रवाई में देरी को लेकर पुलिस अधिकारियों से सवाल किए। उन्होंने पुलिस महानिदेशक, अतिरिक्त पुलिस महानिदेशक (संचालन), रांची के उपायुक्त और वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक को राजभवन में तलब किया और उनसे रांची में हुई घटनाओं की विस्तृत जानकारी ली। राज्यपाल ने पुलिस प्रशासन से सवाल किया कि प्रस्तावित कार्यक्रम, धरना, प्रदर्शन, जुलूस को लेकर उनके पास क्या जानकारी थी और उसके लिए क्या व्यवस्था की गई थी। वहीं, राज्यपाल ने इस पर भी सवाल किया कि कोई निवारक कार्रवाई क्यों नहीं की गई और प्रदर्शनकारियों को रोकने के लिए वाटर कैनन, रबर बुलेट और आंसू गैस का इस्तेमाल क्यों नहीं किया गया।
रांची हिंसा में अब तक पांच लोगों की हुई गिरफ्तारी
रांची पुलिस ने सोमवार को बताया कि शुक्रवार को रांची में हुई हिंसा के सिलसिले में अब तक कुल पांच लोगों को गिरफ्तार किया गया है। आरोपियों की पहचान मोहम्मद आरिफ उर्फ रिंकू खान, बेलाल अंसारी, मोहम्मद अशफाक, मोहम्मद अनीश और मोहम्मद दानिश के रूप में हुई है।
रांची हिंसा की जांच एनआईए से कराने के लिए हाई कोर्ट में याचिका दायर
न्यूज एजेंसी एएनआई के मुताबिक, सोमवार को एक याचिकाकर्ता पंकज यादव ने हाई कोर्ट में जनहित याचिका दायर कर मामले की जांच एनआईए को सौंपने का अनुरोध किया था। पंकज यादव का कहना है कि यह हिंसा एक सोची-समझी साजिश है, जिसकी जांच रांची पुलिस या झारखंड पुलिस नहीं कर सकती और न ही किसी तार्किक निष्कर्ष पर पहुंच सकती है। याचिकाकर्ता ने ऑल इंडिया मजलिस-ए-इत्तेहादुल मुस्लिमीन (एआईएमआईएम) के अध्यक्ष असदुद्दीन ओवैसी को प्रतिवादी बनाया है। याचिकाकर्ता का कहना है कि एआईएमआईएम चीफ लगातार भड़काऊ भाषण देकर लोगों को उकसाने की कोशिश कर रहे हैं।