तमिलनाडु की दिवंगत पूर्व मुख्यमंत्री जे जयललिता की भतीजी दीपा जयकुमार ने राजनीति में आने और एआईएडीएमके पार्टी में शामिल होने की इच्छा जताई है। 42 साल की दीपा ने शनिवार को कई इंटरव्यू देकर यह साफ कर दिया कि वो राजनीति में आने को उत्सुक हैं। दीपा ने कहा, “अगर लोग चाहेंगे तो मैं तैयार हूं।” हालांकि उन्होंने कहा कि उन्हें किसी बड़ी राजनीतिक शक्ति का आशीर्वाद प्राप्त नहीं है। उन्होंने कहा, “पार्टी से न तो किसी ने संपर्क किया है और न ही किसी का सहयोग मिला है।” उन्होंने उम्मीद जाहिर की कि लोगों का समर्थन उन्हें जल्द मिलेगा।
उन्होंने इंटरव्यू के दौरान अपनी बुआ की मौत से जुड़े कई सवाल भी पूछे। दीपा ने कहा, “मैं अपनी बुआ जयललिता से मिलने अपोलो अस्पताल दो महीने में 25 बार गई लेकिन मुझे क्यों नहीं मिलने दिया गया? उन्हें क्या हुआ था, डॉक्टर किस बीमारी का इलाज कर रहे थे?” दीपा ने कहा कि उन्हें इसमें साजिश नजर आ रही है। दीपा ने कहा कि उन्होंने अपनी बुआ से मिलने की बहुत कोशिश की लेकिन उन्हें जान बूझकर मिलने नहीं दिया गया। यहां तक कि उन्होंने जयललिता को खत भी लिखे लेकिन वो खत उनतक नहीं पहुंच सके।
जयललिता की तरह दिखने वाली दीपा जयकुमार जयललिता के भाई जयकुमार की बेटी हैं। उनके एक भाई भी हैं जिनका नाम दीपक जयकुमार है। दीपक भी कई बार अस्पताल में बुआ से मिलने की कोशिश कर चुके हैं लेकिन नहीं मिल सके। हालांकि जयललिता के अंतिम संस्कार में दीपक को शशिकला नटराजन के साथ शामिल किया गया था। दीपक को अंतिम संस्कार में देखने पर दीपा चौंक गई थीं ।

दीपा ने कहा कि अंतिम संस्कार के अगले दिन अपनी बुआ को श्रद्धांजलि देने वो मरीना बीच गईं थीं। वहां एक चश्मदीद ने बताया कि उस दौरान बीच पर मौजूद भीड़ बेकाबू हो गई। उनको लगा कि उन्होंने अम्मा की आत्मा को देख लिया है। बीच पर मौजूद लोगों ने दीपा को घेर लिया और कहा कि ‘वो सब उनके साथ हैं और वो इसका विरोध करने को तैयार हैं’।
कहा जाता है कि दीपा कभी जयललिता की काफी लाडली थीं। दीपा का जन्म जयललिता के निवास पोएस गार्डन के ‘वेद निलयम’ में हुआ था। साल 1974 में जब उनके भाई और माता-पिता यहां रहते थे। दीपा का नाम भी जयललिता ने ही रखा था। दीपा ने कहा, ‘मेरा जन्म दीपावाली से एक दिन पहले हुआ था, इसलिए उन्होंने मेरा नाम दीपा रखा’। 1978 में जयललिता के भाई जयकुमार और उनका परिवार वहां से निकलकर टी नगर के एक मकान में शिफ्ट हो गया था। लेकिन परिवार का पोएस गार्डन में आना-जाना लगातार बना रहा।

