जम्‍मू कश्‍मीर की मुख्‍यमंत्री महबूबा मुफ्ती का कहना है कि जुलाई में बुरहान वानी के मारे जाने के बाद घाटी में हुए प्रदर्शनों ने सुलह की प्रकिया को पीछे धकेल दिया है। इसके चलते वर्तमान में आर्म्‍ड फोर्सेज स्‍पेशल पावर्स एक्‍ट( अफ्स्‍पा) को हटाने की बात भी नहीं की जा सकती। इंडियन एक्‍सप्रेस को महबूबा ने बताया कि उन्‍हें शत प्रतिशत भरोसा है कि उनकी पार्टी पीडीपी का भाजपा से गठबंधन कश्‍मीर को हड़बड़ी के इस समय से सम्‍मानपूर्वक बाहर निकाल ले जाएगा। उनका कहना है कि कश्‍मीर का हल सीमाओं को अप्रासंगिक बनाने और पीओके, चीन व मध्‍य एशिया से संपर्क बढ़ाने से निकलेगा। मुख्‍यमंत्री बनने के बाद अपने पहले इंटरव्यू में महबूबा ने कहा कि भाजपा के सहयोग से मुख्‍यमंत्री बनने का उनका मूल उद्देश्‍य सुलह करना है जिससे समस्‍या जल्‍द सुलझ जाए।

मुख्‍यमंत्री ने बताया, ”जिस दिन मुझे लगा कि मैं इस उद्देश्‍य में असफल रही हूं उस दिन पद छोड़ने में एक सैकंड भी नहीं लगाऊंगी। इसके बजाय मैं राजनीति छोड़ दूंगी और घर पर रहना पसंद करूंगी।” घाटी की वर्तमान शांति को उन्‍होंने कोमल चुप्‍पी बताते हुए कहा, ”हमें (लोगों को) जोड़ने और दूरियां मिटाने के लिए काफी काम करना है।” गौरतलब है कि बुरहान वानी के मारे जाने के बाद घाटी में हुए प्रदर्शनों में शामिल लोगों पर सुरक्षा बलों की कार्रवाई में 100 नागरिक मारे गए और 1000 से ज्‍यादा अंधे हो गए। इन मौतों के बारे में उन्‍होंने कहा कि इनकी जांच के लिए व्‍यवस्‍था बनाई जाएगी। पीडीपी के एजेंडे के मुख्‍य तत्‍व पर आगे ना बढ़ने के सवाल पर उन्‍होंने कहा कि पांच- छह महीने तक चले प्रदर्शनों ने पीछे धकेल दिया है। उन्‍होंने कहा, ”गठबंधन के हमारे एजेंडे के एक-एक शब्‍द पर टिके हुए हैं। लेकिन इसके लिए टाइम फैक्‍टर भी है जो कि अहम है। क्‍या इस समय अफ्स्‍पा हटाने की बात कर सकते हैं। इसीलिए मैं कह रही हूं कि पिछले पांच-छह महीने में जो कुछ हुआ है वह नहीं होना चाहिए। इससे सब पर उलटा असर पड़ा है नहीं तो आज हम कहीं ओर होते।”

महबूबा ने प्रदर्शनों में बच्‍चों के शामिल होने पर उनके माता-पिता पर नाराजगी जाहिर की। उन्‍होंने कहा, ”मैं गुस्‍सा हूं। लोग कैसे अपने बच्‍चों को इस तरह के माहौल में जाने दे सकते हैं?” राज्‍य की मशीनरी से भी नाराजगी जाहिर करते हुए सीएम ने कहा कि उन्‍हें सावधानी बरतनी चाहिए थी। लेकिन किसी जगह पर बैठकर ऐसा कहना आसान है। इतने सारे आम लोग मारे गए और घायल हुए हैं तो पुलिसवाले भी जख्‍मी हुए हैं। लेकिन थोड़ा सा संयम बरतकर कुछ जानें बचाई जा सकती थी।