हिजबुल मुहाहिदीन के आतंकवादी बुरहान वानी के इस साल जुलाई में मारे जाने के बाद से बड़ी संख्या में कश्मीरी युवक, विशेषकर दक्षिणी कश्मीर से, लापता हैं और माना जा रहा है कि वे आतंकवादी समूहों में शामिल हो गए हैं। जानकार सूत्रों ने बताया कि चार जिलों, पुलवामा, कुलगाम, शोपियां एवं अनंतनाग से पिछले दो माह से करीब 80 युवकों के लापता होने की बात मानी जा रही है। इनमें से अधिकतर लापता युवक पुलवामा जिले के हैं। उन्होंने बताया कि आतंकवादी समूहों की पकड़ी गई बातचीत और दक्षिणी कश्मीर से एकत्र खुफिया सूचनाओं से संकेत मिले हैं कि अधिकतर युवक हिजबुल मुजाहिदीन आतंकी समूह की ओर जा रहे हैं जबकि कुछ प्रतिबंधित लश्करे तैयबा की ओर आकर्षित हो रहे हैं।
सुरक्षा संगठनों के वरिष्ठ अधिकारी इस बात से सहमत हैं कि कश्मीर के ग्रामीण क्षेत्रों में स्थिति की कोई स्पष्ट तस्वीर नहीं है। सेना एवं सुरक्षा बलों को इन स्थलों पर जाने के मजबूर होना पड़ रहा है तथा अब कुछ स्थिति साफ हो सकती है। उन्होंने कहा कि पुलिस पिछले दो माह में आतंकवाद निरोधक अभियान के बजाय कानून एवं व्यवस्था पर अधिक ध्यान केन्द्रित कर रही है। इस दौरान काफी कम खुफिया सूचना एकत्र हो पाई है। इसी के साथ साथ सेना सहित सुरक्षा प्रतिष्ठान दक्षिणी कश्मीर में शांति से काम कर रहे हैं। यह घाटी का सबसे संवेदनशील क्षेत्र और दो माह से चल रहे आंदोलन का मुख्य बिन्दु है। अधिकारियों ने बताया कि राष्ट्रीय राजमार्ग पर यातायात को नियमित किया गया है तथा उसे काफिले में चलने की अनुमति दी जा रही है। ऐसा आठ जुलाई को बुरहान वानी की मुठभेड़ में मौत के बाद से हो रहा है। उसके बाद से हो रहे प्रदर्शनों में से 70 से ज्यादा लोगों की मौत हो चुकी है।
दक्षिणी कश्मीर सत्तारूढ़ पीडीपी के प्रभाव वाला क्षेत्र रहा है। किन्तु अब इसी क्षेत्र से कई युवा आतंकवादी या उनके समर्थक बन रहे हैं। आतंकियों का बेहतर खुफिया तंत्र, स्थानीय आतंकवादियों को लोगों की मदद, आतंकवादियों के अंतिम संस्कार में बड़ी संख्या में लोगों का उमड़ना और मुठभेड़ के दौरान भी सुरक्षाबलों पर पथराव क्षेत्र में नियमित चलन हो रहा है। पत्थर और लाठी लिए छोटे छोटे लड़कों ने राष्ट्रीय राजमार्ग तक पहुंचने वाली सड़कों पर एक तरह से कब्जा जमा रखा है जिससे आवाजाही बाधित हो गयी है। प्रदर्शनकारियों की सुरक्षाबलों से निरंतर झड़प से क्षेत्र मे निकट भविष्य में सामान्य स्थिति बहाल होने के बहुत कम संकेत मिल रहे हैं।