कश्मीर में अशांति के बीच राज्य के विपक्षी दलों का एक शिष्टमंडल सोमवार (22 अगस्त) को प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी से मुलाकात करेगा और संकट के ‘राजनीतिक समाधान’ के लिए सभी पक्षों के साथ बातचीत शुरू करने की जरूरत को रेखांकित करेगा। राज्य के पूर्व मुख्यमंत्री एवं नेशनल कांफ्रेंस के नेता उमर अब्दुल्ला के नेतृत्व में एक शिष्टमंडल प्रधानमंत्री से मुलाकात करेगा और उन्हें जमीनी हकीकत की जानकारी देगा। राज्य में 8 जुलाई को हिजबुल मुजाहिदीन आतंकी बुरहान वानी के सुरक्षा बलों के साथ मुठभेड में मारे जाने के बाद से हिंसा का दौर जारी है। शिष्टमंडल में माकपा विधायक मोहम्मद युसुफ तारिगामी, प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष जी ए मीर, नेशनल कांफ्रेंस के वरिष्ठ नेता और कुछ निर्दलीय विधायक शामिल होंगे। विपक्षी दलों के सूत्रों ने बताया कि वे प्रधानमंत्री से आग्रह करेंगे कि वे राज्य सरकार को स्थिति से प्रशासनिक तौर पर निपटने से रोके क्योंकि इससे लोगों में, खासकर युवाओं में अभूतपूर्व विलगाव पैदा हो रहा है।

सूत्रों ने कहा कि वह और समय बर्बाद किए बिना अशांति को समाप्त करने के लिए सभी पक्षों के साथ विश्वसनीय और अर्थपूर्ण वार्ता की जरूरत को रेखांकित करेगा। विपक्षी शिष्टमंडल प्रधानमंत्री के समक्ष सुरक्षा बलों द्वारा पेलेट गन के उपयोग के मुद्दे को उठाएगा जिसके कारण काफी संख्या में लोग घायल हुए थे। इसके साथ ही लोगों को परेशान किए जाने, छापेमारी और गिरफ्तारी के विषय को भी उठाएगा। कश्मीर में अशांत स्थिति नहीं थमने के बीच उमर अब्दुल्ला के नेतृत्व में विपक्षी दलों के नेताओं ने शनिवार (20 अगस्त) को राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी से मुलाकात की थी और उनसे आग्रह किया था कि वे प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी से स्थिति का राजनीतिक समाधान निकालने का आग्रह करें। पूर्व मुख्यमंत्री के साथ नेशनल कांफ्रेंस के वरिष्ठ नेता नासिर वानी, देविन्दर राणा, अली मोहम्मद सागर और ए आर राथर भी मौजूद थे।