जम्‍मू-कश्‍मीर में विरोध-प्रदर्शनों के बीच सुरक्षा बलों से मुठभेड़ में कम से कम 30 लोग मारे गए हैं। मुख्‍यमंत्री महबूबा मुफ्ती ने साेमवार को पहली बार कदम उठाते हुए घाटी के पीडीपी मंत्रियों से विभिन्‍न जिलों में भ्रमण करने को कहा है। तीन दिन से चल रहे विरोध-प्रदर्शन के दौरान मुख्‍यमंत्री खुद कहीं नजर नहीं आईं। उन्‍होंने सिर्फ दो बयान जारी कर लोगों से शांति की अपील की, और उनकी अपनी पार्टी के विधायक संभावित प्रतिक्रिया से डरे हुए हैं। अभी तक, कोई मंत्री या सत्‍ताधारी पार्टी का कोई नेता श्रीनगर के अस्‍पतालों में घायलों से मिलने नहीं गया है। पिछले विधानसभा चुनावों में पूर्व मुख्‍यमंत्री उमर अब्‍दुल्‍ला को हराने वाले सोनवार विधायक मोहम्‍मद अशरफ मीर ने द इंडियन एक्‍सप्रेस से बात की। उन्‍होंने बताया, ”दुर्भाग्‍य से, स्थिति को ठीक से नहीं संभाला गया। सरकार और सुरक्षा प्रशासन ने इतने ज्‍यादा लोगों के उसे (हिजबुल मुजाहिदी कमांडर बुरहान वानी) विदाई देने की उम्‍मीद नहीं की थी। मीर ने कहा कि जब प्रदर्शनकारियों ने बंकरों, कैंपों और पुलिस थानों पर हमला बोला तो सुरक्षा बलों ने गोलियां चला दीं, जिससे स्थिति ने ‘एक दुर्भाग्‍यपूर्ण मोड़’ ले लिया।

मीर ने कहा कि पीडीपी विधायकों की बैठक अभी तक नहीं बुलाई गई है। उनके अनुसार, ‘एक बार बैठक होती है तो हम अपने सुझाव रखेंगे। आज किसी विधायक के लिए यह संभव नहीं है कि वह अपने क्षेत्र में जा सके, खासकर दक्षिणी कश्‍मीर में। विधायकों के पास सीमित सुरक्षा है और कोई बुलेट-प्रूफ गाड़ी नहीं है।’ हालांकि शिक्षामंत्री नईम अख्‍तर ने द इंडियन एक्‍सप्रेस को बताया कि वे पहले से ही गंडेरबल में कैंपिंग कर रहे हैं। उन्‍होंने कहा, ‘महबूबा जी ने सभी मंत्रियों को लोगों तक पहुंचने के लिए कहा है। मुझे गंडेरबल और बांदीपुर जिलों को देखने की जिम्‍मेदारी दी गई है और मैं फिलहाल गंडेरबल में रुका हुआ हूं।’

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गंडेरबल अमरनाथ यात्रा का सबसे अहम पड़ाव है। यात्रा का बड़ा रूट और बलताल बेस कैंप इसी जिले में पड़ता है। जब प्रदर्शनों की स्थिति के बारे में पूछा गया तो अख्‍तर ने कहा, ”यह गुस्‍सा धारणाओं और रोमांस की वजह से है। क्‍या आपको याद है कि करीब 25 साल पहले वहां के एक नाम गूंजता था, इश्‍फाक़ मजीद (जम्‍मू कश्‍मीर लिबरेशन फ्रंट का कमांडर)? अब आपके पास उससे ज्‍यादा मशहूर एक नौजवान है।”

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अनंतनाग के एक वरिष्‍ठ अधिकारी ने द इंडियन एक्‍सप्रेस को बताया कि अभी तक किसी ने चार हिंसाग्रस्‍त जिलों का दौरा नहीं किया है। अधिकारी के अनुसार, ‘इस बात की सलाह भी नहीं दी जाती। अगर वे यहां किसी तरह से आ भी जाते हैं, तो भी वे बाहर घूम नहीं पाएंगे। यहां इतना गुस्‍सा है कि उनके आस-पास जाने वाले किसी को भी नुकसान होगा।”