जम्मू-कश्मीर के कठुआ में आठ वर्षीय बच्ची से मंदिर में आठ दिनों तक गैंगरेप के बाद केंद्रीय मंत्री ने पहली बार अपनी प्रतिक्रिया दी है। गुरुवार (12 अप्रैल, 2018) को वीके सिंह ने ट्वीट कर कहा है कि मनुष्य के रूप में नाकाम हो गए लेकिन उसे इंसाफ जरूर मिलेगा। वीके सिंह ने ट्वीट में एक स्क्रीन शॉट भी लगाया है। उसमें उन्होंने लिखा है, ‘इंसान और जानवर में फर्क होना चाहिए और ये है भी, लेकिन आठ साल की बच्ची के साथ जो हुआ है उससे लगता है कि इंसान होना एक गाली है। जानवर इससे कहीं अच्छे हैं। शायद ही कोई होगा जो इस घटना से भावुक ना हुआ हो।’
वीके सिंह ने आगे लिखा है, ‘भावनाओं को अलग रख कहना चाहता हूं कि अपराधियों को ऐसी सजा मिलनी चाहिए कि उनका उदाहरण हमें पीढ़ी दर पीढ़ी याद रहे। एक और चीज। जो धर्म की आड़ में अपराधियों को शरण देना चाहते हैं, उन्हें यह भी पता होना चाहिए कि वो भी अपराधियों की ही श्रेणी में ही गिने जाएंगे। आपका समर्थन दर्शाता है कि समय आने पर आप भी ऐसे ही अपराध करने में सक्षम है। खुद ही फैसला करें कि आप किनके प्रतिनिधि बनना चाहते हैं। अपने धर्म और देश के नाम पर ऐसा कलंक ना पोते जिसके हम ना चाहते हुए भी भागीदार बने।’
ट्वीट में आगे लिखा गया, ‘दो मिनट उस परिवार के बारे में भी सोचो जिसकी आठ साल की मासूम बेटी उनसे इस नृंशसता के साथ छीन ली गई। कम से कम मैं चाहूंगा कि कानून अपना काम करे और दोषियों को सजा दे।’
बता दें कि 17 जनवरी को नाबालिग बच्ची की लाश झाड़ियों में पड़ी मिली थी। मामले में नाबालिग के पिता और मां ने बीबीसी को बताया है, ‘उन लोगों ने हमारी बेटी पर बहुत जुल्म किए थे। उसके पैर टूटे हुए थे। नाखून तक काले पड़ चुके थे। बाहों और उंगलियों में लाल और नीले निशान थे।’
वहीं बच्ची के पिता बीबीसी से कहते हैं कि 12 जनवरी को बेटी जब घर नहीं पहुंची तो दो दिन बाद गुमशुदगी की रिपोर्ट हीरानगर पुलिस थाने में लिखाई। पुजवाला कहते हैं कि तब पुलिस का रवैया बहुत बेरुखी वाला था। एक पुलिस अफसर ने कहा कि हमारी बेटी किसी दोस्त के यहां चली गई होगी। हम पुलिस का सिरदर्द क्यों बढ़ा रहे हैं। हमें थाने से भगा दिया गया।