देश में 500, 1000 रुपए के नोट अवैध घोषित होने के बाद से बैंकिंग सेवाओं की हालत खराब हो गई है। जम्मू-कश्मीर में महीनों से वैसे ही हालात ठीक नहीं हैं, ऊपर से नोटबंदी ने लोगों की जिंदगी में परेशानी बढ़ा दी है। शनिवार को जब राज्य में दुकानें खुलीं तो जम्मू-कश्मीर के पूर्व मुख्यमंत्री फारूख अब्दुल्ला लालचौक की दुकानों पर खरीदारी करते नजर आए। हालांकि उन्होंने किसी को भुगतान नहीं किया और उधार पर सामान लिया। उन्होंने कहा, ”मेरे पास कैश नहीं था और मैंने उनको (दुकानदारों) कहा कि मैं बाद में चुका दूंगा।” लेकिन अब्दुल्ला की तरह हर कश्मीरी उधार पर खरीदारी नहीं कर सकता। नोटबंदी से घाटी के अाम लोगों पर दोहरी मार पड़ी है। राज्य में मोबाइल इंटरनेट पर बैन की वजह से दिक्कत और बढ़ गई है। देश के बाकी हिस्सों से उलट, कश्मीर में लोग खरीदारी के लिए अपने डेबिट और क्रेडिट कार्ड का इस्तेमाल भी नहीं कर पा रहे हैं। राज्य सरकार के इंजीनियर जुबैर अहमद कहते हैं, ”मुझे एक मेडिकल स्क्रीनिंग टेस्ट कराना था लेकिन मेरे पास कैश नहीं है। तीन एटीएम आउट ऑफ सर्विस मिलने के बाद, मैंने किसी तरह 2000 रुपए निकाले। लेकिन टेस्ट 2400 रुपए का है। चूंकि मेरे पास सिर्फ 2000 रुपए थे, मैंने उन्हें अपना डेबिट कार्ड दिया लेकिन उन्होंने कहा कि उनकी POS (प्वांइट ऑफ सेल) मशीन कनेक्टेड नहीं है क्योंकि इंटरनेट पर बैन है। मुझे अपने दोस्तों को कॉल कर बाकी रुपयों का इंतजाम करना पड़ा।”
घाटी में 8 जुलाई से ही इंटरनेट सेवाएं बंद है, जब हिजबुल मुजाहिदीन कमांडर बुरहान वानी को सुरक्षा बलों ने मार गिराया था। जहां सरकार ने ब्रॉडबैंड लैंडलाइन इंटरनेट सेवाएं बहाल कर दी थीं, मगर यहां 6000 से भी कम ब्रॉडबैंड कनेक्शन हैं। इनमें से ज्यादातर उपभोक्ता घरेलू या कार्यालयों में इंटरनेट की वजह से हैं। POS मशीनें सिम कार्ड के जरिए मोबाइल इंटरनेट एक्सेस करती हैं। चूंकि घाटी में चार महीने से भी ज्यादा वक्त से इंटरनेट बंद है, तो मशीनें काम नहीं कर रहीं। नोट बंद होने के बाद लोगों की परेशानी और बढ़ गई है। श्रीनगर के लालचौक और रेजिडेंसी रोड पर सिर्फ एक डिपार्टमेंटल स्टोर में ही डेबिट और क्रेडिट कार्ड स्वीकार किए जा रहे हैं। घाटी के सौ से भी ज्यादा पेट्रोल पंपों में से सिर्फ एक के पास ही ब्रॉडबैंड इंटरनेट है।
घाटी के शहरी इलाकों के लिए जहां ऑनलाइन ट्रांजेक्शन की सुविधा न होना चिंता की बात है, वहीं ग्रामीण इलाकों में बहुत कम दुकानदारों के पास POS सुविधा है। सरकार का कहना है कि लोगों की चिंताए सही हैं। द इंडियन एक्सप्रेस ने जब जम्मू-कश्मीर सरकार के प्रवक्ता और शिक्षा मंत्री नईम अख्तर से बात की तो उन्होंने कहा, ”आपने महत्वपूर्ण मुद्दा उठाया है। यह चिंता की बात है। मैं इस बारे में मुख्यमंत्री (महबूबा मुफ्ती) से बात करूंगा।”
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