सेंट्रल कश्मीर के बडगाम में हाल के दिनों में हुए पंचायत चुनाव में निर्विरोध विजेता घोषित किए गए मोहम्मद कासिम नेंग्रो (24) जिले के उन लोगों में से एक हैं जिन्होंने चुनावी नामांकन नहीं भरा फिर वह चुन लिए गए। गोगाजी पथरी गांव में नेंग्रो मोहल्ले के निवासी कासिम ने बताया कि वह उस वक्त अवाक रह गए जब एक रिश्तेदार ने फोन कर जीत के बारे में बताया। कासिम कहते हैं, ‘मुझे नहीं पता कि किसने मेरे नाम पर नामांकन दाखिल किया। मुझे शक है कि गांव के कुछ साथियों ने ऐसा किया हो लेकिन मैं पक्के तौर पर नहीं कह सकता। करीब दो तीन महीना पहले गांव के कुछ निवासी मेरे घर आए और मेरे प्रमाण पत्र मांगे, जैसे वोटर आईडी कार्ड। उन्होंने बताया कि सरकार ने स्वच्छ भारत मिशन के तहत शौचालय बनाने की घोषणा की है। अब मुझे लगता है कि उन्होंने उस प्रमाण पत्र का गलत इस्तेमाल किया।’
कासिम एक आयुर्वेदिक कंपनी के लिए काम करते हैं और ज्यादातर घर से बाहर ही रहते हैं। कासिम के मुताबिक, ‘दो महीने के लिए मैं घर से बाहर था तो मैं नामांकन पत्र कैसे दाखिल कर सकता हूं? चुनाव के बारे में जानकारी देने के बाद ही मैं घर लौटा हूं।’ कासिम का दावा है कि यहां वह अकेले ग्रामीण नहीं है जिनकी सहमति के बिना नामांकन पत्र दाखिल कर दिया गया हो। उनके दो रिश्तेदारों और दो पड़ोसियों के भी नामांकन पत्र बिना उनकी जानकारी के दाखिल कर दिए गए। बिना जानकारी जिनके नामांकन दाखिल किए गए उनमें एक महिला भी शामिल है। उन्हें शक है कि इस काम में पूर्व सरपंच शामिल हो सकते हैं।
मोहम्मद कासिम नेंग्रो ने चार दिसंबर को बडगाम के डिप्टी कमिश्नर को पत्र लिख मामले में जांच की मांग की थी। इसके अलावा वह हाई कोर्ट से भी अपील करेंगे। उनका कहना है, ‘सरकार को जांच करनी चाहिए कि किसने मेरे फर्जी हस्ताक्षर कर दिए। यह अच्छी परिस्थिति नहीं है, अगर मेरे साथ कुछ हो गया तो इसका जिम्मेदार कौन होगा। पूरे मामले को करीब दो सप्ताह हो गए हैं लेकिन किसी ने मुझे फोन नहीं किया और इस मामले में कोई कार्रवाई की गई है।’
जानना चाहिए कि खान साहिब में वाट्राडा गांव के बशीर अहमद खान की भी इसी तरह की शिकायत है। उन्होंने कहा, ‘मुझे पंच चुना गया है जबकि मैंने नामांकन दाखिल नहीं किया।’ रिश्तेदार द्वारा चुनावी नामांकन दाखिल करने का दावा कहते हुए बशीर ने बताया, ‘जब मेरी उनसे बात हुई तो उन्होंने कहा कि यह मेरे फायदे के लिए किया है। जब मैंने उनसे पूछा कि वो मेरी बिना अनुमति के ऐसा कैसे कर सकते है तो कहा कि इस्तीफे के लिए मेरी मदद करेंगे। वह मुझे एसडीएम के पास ले गए। अब एसडीएम ने हमें एक सप्ताह बाद आने के लिए कहा है।’
ऐसे ही गोपालपुरा के सैय्यद अरशद है जिन्हें उनके रिश्तेदारों ने बताया कि वह निर्विरोध चुन लिए गए हैं। अरशद कहते हैं, ‘मैं तो और भी ज्यादा चौंक गया जब पता चला कि मेरी पत्नी का नाम भी चुने हुए पंचों की लिस्ट में था। हमने कोई फॉर्म नहीं भरा। किसी ने हमारे नाम ऐसा किया और फर्जी हस्ताक्षर कर दिए।’ अहमद कहते हैं कि वो साल 2011 चुनाव में पंचायत चुनाव के लिए खड़े थे मगर इस बार घाटी में बदलते हालात को देखते हुए चुनाव से दूरी बना ली।