बशारत मसूद की रिपोर्ट

IAF Strike और पुलवामा हमले के बाद जम्मू-कश्मीर में सरकार की सख्ती लगातार बढ़ती जा रही है। आतंकियों पर नकेल कसने के सिलसिले में सरकार ने स्थानीय संगठनों की तरफ से चलाए जा रहे कई स्कूलों को भी बंद करना शुरू कर दिया है। रिपोर्ट्स के मुताबिक राज्य प्रशासन ने ‘फलाह-ए-आम ट्रस्ट’ (FAT) से जुड़े कई स्कूलों को नोटिस जारी किया और बंद करने का आदेश दिया है। उल्लेखनीय है कि FAT पहले जमात-ए-इस्लामी का ही हिस्सा हुआ करता था लेकिन बाद में दोनों अलग हो गए।

सूत्रों के हवाले से लिखी गई रिपोर्ट के मुताबिक FAT के अधिकारी इस संबंध में अदालत का रुख कर सकते हैं। एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा, ‘हम पर प्रतिबंध नहीं लगाया गया है। हमारे स्कूल को राज्य के शिक्षा विभाग ने मान्यता दी है और पंजीयन किया है। अगर जरूरत पड़ी तो हम इस कदम के खिलाफ कोर्ट भी जाएंगे।’ उल्लेखनीय है कि FAT की स्थापना करीब तीन दशक पहले हुई थी। इसका मकसद पहले जमात-ए-इस्लामी की तरफ से चलाए जा रहे स्कूलों का संचालन करना था।

घाटी में इसके करीब 300 स्कूल चल रहे हैं। इनमें करीब 10 हजार शिक्षकों को रोजगार मिलता है। इन स्कूलों में एक लाख से भी ज्यादा बच्चे पढ़ रहे हैं। हालांकि इनमें से 20 से भी कम स्कूल ट्रस्ट के प्रत्यक्ष प्रशासनिक नियंत्रण में हैं, बाकी गांवों और कस्बों की स्थानीय समितियों की तरफ से चलाए जा रहे हैं। ट्रस्ट के एक अधिकारी ने कहा, ‘हमारा एकमात्र मकसद शिक्षा का प्रसार करना है, हमारा कोई राजनीतिक उद्देश्य नहीं है। हमारा जमात-ए-इस्लामी या इसकी संबंधित संस्थाओं से कोई सीधा संबंध नहीं है।’

 

शुक्रवार को बांदीपुरा के एक गांव में FAT के एक स्कूल को सील कर दिया गया। हालांकि ग्रामीणों के प्रदर्शन के चलते सील हटानी पड़ी। अजस के तहसीलदार नावीद अहमद भट ने इंडियन एक्सप्रेस से कहा, ‘हम सिर्फ यह पुष्टि कर रहे थे कि कहीं यह स्कूल जमात-ए-इस्लामी की संपत्ति तो नहीं है। लेकिन हमें पता चला कि यह एक ऐसे संगठन की तरफ से चलाया जा रहा है जो प्रतिबंधित नहीं है।’