उप्र के औद्योगिक विकास मंत्री सतीश महाना के नोएडा दौरे के मद्देनजर प्राधिकरण अधिकारियों ने विकासशील परियोजनाओं पर अपना होमवर्क किया है। वहीं, खरीदारों से जुड़ी दिक्कतों को दूर करने के लिए फ्लैट के पजेशन (कब्जे) की परिभाषा को भी स्पष्ट किया गया है। इसके तहत बिल्डर अब खरीदारों को प्री-पजेशन पत्र जारी कर कब्जा नहीं दे पाएंगे। बताया गया है कि गत दिनों से जारी खरीदार-बिल्डरों की बैठकों से निकले निचोड़ के आधार पर प्राधिकरण अधिकारियों ने यह निर्णय लिया है। प्री-पजेशन पत्र जारी कर बिल्डर निवेशकों को कब्जा तो दे देता था लेकिन सुविधाओं के नाम पर उसे ठगा जाता था। जिनको लेकर खरीदार को प्राधिकरण और बिल्डर के चक्कर काटने पड़ते हैं।
प्राधिकरण अधिकारियों से मिली जानकारी के अनुसार बिल्डर अपने आप को बचाने के लिए प्राधिकरण में परियोजना का कंप्लीशन प्रमाण पत्र के लिए आवेदन कर देते हैं। खामियां या अन्य कमियों के चलते प्राधिकरण उसे कंप्लीशन प्रमाण पत्र जारी नहीं करती है। इसके बावजूद बिल्डर परियोजना के खरीदारों को फ्लैट का कब्जा दे देते हैं। कब्जा मिलने से खुश होने वाले खरीदारों को जल्द ही कड़वी सच्चाई का सामना करना पड़ता है। जब उसे पता चलता है कि कब्जा मिलने वाली परियोजना में बुनियादी सुविधाएं नदारद हैं। मसलन किसी टॉवर में अग्निशमन के इंतजाम नहीं हैं, तो कहीं लिफ्ट ही काम नहीं कर रही है।
ईएमआइ और कर्ज में दबे खरीदार को मजबूरी में फ्लैट में रहना पड़ता है। सुविधाओं के नाम पर उसके बाद भी बिल्डर निवेशकों का शोषण करता है। जिन्हें लगाने का अतिरिक्त खर्चा भी खरीदारों से वसूला जाता है। सूत्रों के मुताबिक ऐसा पहली बार नहीं है, जब बिल्डर ने बगैर कंप्लीशन प्रमाण पत्र के ही निवेशकों को फ्लैटों का कब्जा दे दिया है। प्राधिकरण बॉय लॉज में बगैर कंप्लीशन प्रमाण पत्र के कब्जा देना पूरी तरह से गलत है। अलबत्ता उप्र में नई सरकार आने के बाद नियम को प्रभावी बनाने की पहल शुरू की गई है।