भारत में पोलियो के मामले सामने आने को लेकर चिंताओं के बीच विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्लूएचओ) ने शनिवार को कहा कि भारत सहित सभी दक्षिण पूर्व एशियाई क्षेत्र के देशों को पोलियो मुक्त दर्जे से ‘कोई खतरा’ नहीं है और पंगु बना देने वाली इस बीमारी के गिने-चुने मामले सामने आना ‘कोई असामान्य’ बात नहीं है।

डब्लूएचओ के दक्षिण-पूर्व एशियाई क्षेत्र कार्यालय ने कहा कि भारत सहित सभी देशों में इस बीमारी की पहचान के लिए ‘कड़ी निगरानी’ रखी जाती है और जनवरी, 2011 में पश्चिम बंगाल में सामने आए मामले के बाद से कोई भी बच्चा इस बीमारी से प्रभावित नहीं पाया गया है। डब्लूएचओ के इस कार्यालय ने एक बयान में कहा, ‘इस क्षेत्र में सभी देशों में सतत रूप से कड़ी निगरानी रखी जाती है जिसके तहत भारत में सात राज्यों में 30 स्थानों पर पर्यावरणीय निगरानी-सीवेज से नमूनों का संग्रह-नियमित तौर पर लिया जा रहा है’।

इसने कहा कि भारत सहित सभी दक्षिण पूर्व एशियाई क्षेत्र के देशों के पोलियो-मुक्त दर्जे को ‘कोई खतरा नहीं’ है। यह बयान ऐसे समय में आया है जब उत्तर प्रदेश के बलरामपुर जिले में गैसड़ी के पडरौना गांव के छह साल के बच्चे को पोलियो होने के संदेह में एक अस्पताल में भर्ती कराया गया है जिसके बाद राज्य के स्वास्थ्य अधिकारियों ने डब्लूएचओ को एक रिपोर्ट भेजी है। इस मामले से पहले, हैदराबाद में एक स्थान से संग्रह किए गए सीवेज के एक नमूने में वैक्सीन-डेराइव्ड पोलियो वायरस (वीडीपीवी) टाइप 2 होने का पता चला था। इन मामलों के बाद केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री ने एक जांच शुरू कराई और कहा कि यद्यपि हर साल इस तरह के हजारों मामलों में ऐसा होता है, इनमें से किसी में भी पोलियो नहीं पाया गया।

डब्लूएचओ के कार्यालय ने कहा कि बहुत कम ऐसा होता है जब वीडीपीवी सीवेज के नमूनों से अलग होते हैं और पूर्व में इन नमूनों में पाए गए वीडीपीवी को लेकर त्वरित कार्रवाई से समुदाय में इन विषाणुओं को फैलने से रोका गया है। डब्लूएचओ ने कहा, ‘दक्षिण-पूर्व एशियाई क्षेत्र को 27 मार्च, 2014 को पोलियो-मुक्त क्षेत्र के तौर पर प्रमाणित किया गया है और सीवेज के इन नमूनों में वीडीपीवी के समान विषाणु मिलने से इस क्षेत्र के पोलियो-मुक्त दर्जे को कोई खतरा नहीं है’।

विश्व स्वास्थ्य संगठन के दक्षिण-पूर्व एशियाई क्षेत्र में बांग्लादेश, भूटान, कोरिया, भारत, इंडोनेशिया, मालदीव, म्यामां, नेपाल, श्रीलंका, थाइलैंड और तिमोर-लेस्टे शामिल हैं। इसने कहा कि वैश्विक पोलियो उन्मूलन पहल (जीपीआइई) में भागीदार केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय, किसी भी स्रोत से पोलियो विषाणु की पहचान के लिए निरंतर निगरानी के काम में लगा है और बच्चे इस बीमारी से पूर्ण रूप से बचे रहें, यह सुनिश्चित करने के लिए मंत्रालय टीकाकरण अभियान को निरंतर मजबूत कर रहा है।