नक्सल प्रभावित गढ़चिरौली (महाराष्ट्र) में एक जवान ने अदम्य साहस का परिचय देते हुए जख्मी और निहत्था होने के बावजूद चार नक्सलियों से लोहा लेता रहा। आखिरकार नक्सलियों को वहां से भागना पड़ा था। नायक गोमजी मट्टामी (33) पिछले 12 वर्षों से महाराष्ट्र जिला पुलिस के सी-60 कमांडो दस्ते में तैनात हैं। गोमजी का 4 मार्च को जिले के इटापल्ली तालुका के जांबिया गट्टा इलाके में चार नक्सलियों से सामना हो गया था। माओवादियों ने उनका एके-47 राइफल छीन लिया था। उनके सीने पर चाकू से हमला भी किया गया था, जिसके कारण लगातार खून बह रहा था। इसके बावजूद गोमजी ने हिम्मत नहीं हारी और चारों नक्सलियों से निहत्थे ही भिड़ गए थे। उनकी बहादुरी के सामने हथियारबंद नक्सलियों की एक न चली और उन्हें दुम दबाकर भागना पड़ा। महाराष्ट्र पुलिस के इस जवान ने नक्सलियों से अपनी एके-47 राइफल भी वापस छीन ली थी। ‘टाइम्स ऑफ इंडिया’ की रिपोर्ट के अनुसार, गोमजी ने जब तक अपना राइफल वापस नहीं छीन लिया था तब तक नक्सलियों को खदेड़ते रहे थे। बताया जाता है कि नक्सलियों का यह दस्ता विशेष तौर पर अकेले जवानों पर हमला बोलता है। आमतौर पर ऐसे हमलों का उद्देश्य हथियार और गोलियां छीनना होता है। बता दें कि गढ़चिरौली में आए दिन नक्सली हमले होते रहते हैं। इससे लगते इलाकों को नक्सलियों का गढ़ माना जाता है।

पुलिस डिपार्टमेंट में गोमजी के चर्चे: महाराष्ट्र के पुलिस डिपार्टमेंट में गोमजी के साहस के चर्चे हो रहे हैं। वह अब तक 33 एनकाउंटर में हिस्सा ले चुके हैं। उनका फिलहाल ऑरेंज सिटी हॉस्पिटल में इलाज चल रहा है। गोमजी को स्थानीय साप्ताहिक बाजार में पुलिस बंदोबस्त के तहत भेजा गया था। वह ड्यूटी के बाद जांबिया गट्टा चौकी वापस लौट रहे थे। वह बीच में ही रुक कर अपने एक सहपाठी से बात करने लगे थे, जबकि उनके अन्य साथी आगे बढ़ गए थे। उसी वक्त उन्हें सादे लिबास में माओवादियों की एक्शन टीम ने घेर लिया था। उन्होंने बताया कि कुछ समझ में आता इससे पहले ही नक्सलियों ने उन्हें जमीन पर गिरा कर चारों तरफ खड़े हो गए थे। गोमजी ने कहा, ‘एक नक्सली ने पिस्टल निकालकर उन पर फायर कर दिया था, लेकिन गोली नहीं चली थी। इस बीच एक नक्सली ने एके-47 लूटने के लिए मेरे सीने में चाकू मर दिया और राइफल लेकर भाग रहे थे। मैंने उस पर पीछे से झपट्टा मार कर एके-47 वापस ले ली थी।’