केंद्र सरकार के स्वच्छता अभियान का असर शायद पूर्वी उत्तर प्रदेश मे देखने को नहीं मिल रहा है। यूपी के गाजीपुर में लोग शौचालयों का निर्माण होने के बावजूद अभी भी शौच के लिए खुले में ही जाने को प्राथमिकता दे रहे हैं। इस बार चुनाव के दौरान यहां के लोगों को बीच ‘मोदी जी का शौचालय’ और ‘योगी जी की गाय’ शब्द काफी चर्चा में रहा।

स्थानीय लोगों का कहना है कि गांव में शौचालय को कुकुरमुत्ते की तरह बना दिए गए लेकिन इनका कोई उपयोग नहीं है। लोगों का कहना है कि वह अभी भी शौचालय के लिए खेतों में ही जाते हैं। सरकार की तरफ से बनाए गए शौचालयों का प्रयोग जानवरों का चारा रखने के काम में लिया जा रहा है।

टेलीग्राफ ने पूर्वी उत्तर प्रदेश के गांवों में जाकर स्वच्छ भारत अभियान के तहत बनाए गए शौचालय की जमीनी स्थिति जानी। यहां के अखरोर गांव के 57 वर्षीय केदार चौहान ने कहा कि मोदी जी का शौचालय तो एक मुक्का में ही ढह जाएगा। इसे मात्र एक बोरे सीमेंट और गारे से मिलाकर बनाया गया है। नोनिया जाति के चौहान कहते हैं कि शौचालय बनाने के लिए आवंटित 12000 रुपये में उन्हें आधी ही राशि मिल पाई।

वहीं, अन्य ग्रामीण सुहान चौहान कहते हैं कि योगी जी का गाय तो बर्दाश्त ही नहीं होता है। वहीं, गाजीपुर के ही लौहर बिंद कहते हैं कि उनके यहां शौचालय तो है लेकिन इसका प्रयोग इमरजेंसी में ही होता है। बिंद झिंगनी देवी कहती हैं कि उन्हें शौचालय नहीं पहले घर की जरूरत है। सरकार को पहले हम लोगों को घर देना चाहिए।

जमीनी हकीकत से दूर से प्रचार के आंकड़ेः सरकार राज्यों को खुले में शौच मुक्त घोषित करने के दावे कर रही है। केंद्र सरकार का कहना है कि पिछले पांच साल 10 करोड़ से अधिक शौचालयों का निर्माण हुआ है।

वहीं, जमीनी स्तर पर शौचालयों का प्रयोग नहीं होने से ये आंकड़ें अपने लक्ष्य की पूर्ति नहीं कर पा रहे हैं। ऐसे में सरकार के अपने अभियान को नए सिरे से परिभाषित करने के साथ ही लोगों को अधिक से अधिक जागरूक करने की जरूरत है।