खेसारी दाल पर 55 साल पहले बैन लगने के बाद इंडियन काउंसिल ऑफ मेडिकल रिसर्च (ICMR) के एक रिसर्च पैनल ने इसे खाने के लिए सुरक्षित बताया है। खेसारी दाल को गरीबों की दाल भी कहते हैं क्‍योंकि इसकी कीमत कम होती है। इस दाल पर 1961 में बैन लगाया गया था क्‍योंकि इसे खाने पर कथित तौर पर पैरों में लकवा मार जाता था।

द इंडियन एक्‍सप्रेस की ओर से दाखिल की गई एक आरटीआई में आईसीएआर ने इस बात की पुष्‍ट‍ि की है कि बैन हटाने का प्रस्‍ताव फूड सेफ्टी एंड स्‍टैंडर्ड अथॉरिटी ऑफ इंडिया (FSSAI) को भेज दिया गया है। आरटीआई के जवाब में यह भी बताया गया है कि आईसीएमआर की सिफारिश पर अथॉरिटी विचार भी कर रही है। FSSAI के साइंटिफिक पैनल ने इस मुद्दे पर बीते साल छह नवंबर को विचार विमर्श भी किया था। FSSAI के सीईओ पवन कुमार अग्रवाल ने बताया कि सेफ्टी के नजरिए से जिस चीज पर दशकों तक बैन लगा हो, उसे सुरक्षित करार देने से पहले कई कड़े टेस्‍ट किए जाना बाकी है।