मथुरा के वृंदावन में होने वाली ‘नास्तिम सम्मेलन’ नाम की नास्तिकों की एक निजी बैठक रद्द कर दी है। इस सम्मेलन का हिंंदू और मुस्लिम धार्मिक समूह, दोनों विरोध कर रहे थे। प्रदर्शनकारियों ने स्वामी बालेंदु के आश्रम के बाहर हिंसक प्रदर्शन किया। एक समय आध्यात्मिक नेता रहे स्वप्रचारित ‘नास्तिक गुरु’ ने नास्तिकता पर दो दिवसीय सम्मेलन बुलाया था। शुक्रवार को लाठियों से लैस सैकड़ों प्रदर्शनकारी आश्रम के बाहर इकट्ठा हो गए। प्रदर्शनकारियों को पुलिस अधिकारियों की शह हासिल थी। मथुरा पुलिस ने कथित तौर पर उन्हें (स्वामी बालेंदु) कार्यक्रम की इजाजत दी थी, लेकिन बाद में कहा कि इससे ‘धार्मिक भावनाएं आहत’ हो सकती हैं। आयोजनकारियों ने भी बाद में घोषणा की कि वे सम्मेलन को आयोजित नहीं करेंगे। प्रदर्शनकारियों में विश्व हिंदू परिषद, बजरंग दल और जामा मस्जिद के मौलवी शामिल थे।
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स्वामी बालेंदु ने अपने जैसी सोच रखने वाले नास्तिकों, दोस्तों और जानने वालों को 14-15 अक्टूबर को अपने आश्रम बुलाया था। स्वामी ने गुरुवार को मीडियाकर्मियों को भी कार्यक्रम के बारे में बताया था, जहां उसने कथित तौर पर कहा कि धर्म एक ‘धंधा’ बन गया है। जो लोगों के दिमाग में डर पैदा करता है। धर्म को ‘जहर’ बताते हुए स्वामी ने कथित तौर पर विभिन्न भगवानों की तुलना कामिक चरित्र से की। स्वामी का विरोध कर रहे वृंदावन के संत स्वामी फूल दास महाराज ने कहा, ”स्वामी बालेंदु ने दावा किया था कि सभी धार्मिक शास्त्र काल्पनिक हैं और सिर्फ मनोरंजन के लिए हैं। उनका बयान हिंदुत्व के खिलाफ है और ऐसे नेताओं पर प्रतिबंध लगना चाहिए।” मथुरा की शाही जामा मस्जिद के इमाम, मोहम्मद उमर कादरी ने कहा कि बालेंदु एक ‘पब्लिसिटी’ चाहते हैं और उन्हें श्रद्धाुलओं की भावनाएं आहत करने का कोई हक नहीं है।
स्वामी बालेंदु के भाई स्वामी यशवेंदु ने कहा, ”100 से ज्यादा प्रदर्शनकारी सुबह 10 बजे के करीब बिंदु सेवा संस्थान आश्रम पहुंचे और नारे लगाते हुए आश्रम की जमीन पर हमला कर दिया। लाठियों से लैस लोग, जिनमें धार्मिक गुरु भी थे, ने ग्लास पैनल्स तोड़ दिए।” पुलिस ने प्रदर्शनकारियों को शांत कराया। मथुरा एसपी (सिटी) आलोक प्रियदर्शी ने बताया, ”उन्होंने (स्वामी बालेंदु) कार्यक्रम रद्द करने का फैसला किया क्योंकि इससे कानून-व्यवस्था खतरे में पड़ रही थी।”