हिमाचल प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री वीरभद्र सिंह और उनके बेटे विक्रमादित्य सिंह के खिलाफ ऐतिहासिक इमारत में तोड़फोड़ करने के मामले में केस दर्ज किया गया है। वीरभद्र सिंह पर आरोप है कि उन्होंने अपने एक रिश्तेदार के महल को कब्जाने की कोशिश की, जिसे लेकर दोनों परिवारों के बीच विवाद चल रहा है। कांग्रेस नेता वीरभद्र सिंह और उनके बेटे के अलावा इस मामले में पब्लिक वर्क्स डिपार्टमेंट विभाग के पूर्व प्रमुख इंजीनियर स्वामी प्रकाश नेगी को भी आरोपी बनाया गया है। स्वामी प्रकाश नेगी पर आरोप है कि उन्होंने महल पर कब्जा करने में वीरभद्र सिंह और विक्रमादित्य सिंह की मदद की थी। पुलिस में यह शिकायत महल के मालिक और वीरभद्र सिंह के भतीजे राजेश्वर सिंह ने दर्ज करायी है।
क्या है मामलाः बता दें कि यह मामला 9 मई का है, जिसके बाद महल के केयरटेकर मस्तराम ने भी 9 मई को ही इस मामले की शिकायत पुलिस में दर्ज करायी थी। हालांकि बाद में मस्तराम ने अपनी यह शिकायत वापस ले ली थी और उसकी जगह महल के मालिक राजेश्वर सिंह ने पुलिस में केस दर्ज कराया है। पुलिस को दी शिकायत में कहा गया है कि वीरभद्र सिंह ने अपने आदमियों को पदम पैलेस का ताला तोड़ने और महल का सारा सामान बाहर फेंकने का हुक्म दिया था। पिछले 25 सालों से पदम पैलेस के केयरटेकर का काम कर रहे मस्तराम ने बताया कि पूर्व सीएम वीरभद्र सिंह और उनके आदमी जब महल को कब्जाने की कोशिश कर रहे थे, तब हाथापाई के दौरान 30000 रुपए भी गायब हो गए थे। वहीं शिकायत मिलने के बाद पुलिस ने वीरभद्र सिंह और उनके बेटे के खिलाफ धारा 448 के तहत मामला दर्ज कर लिया है।
महल के केयरटेकर मस्तराम ने यह भी बताया कि वीरभद्र सिंह इससे पहले भी उसे धमका चुके हैं। उल्लेखनीय है कि वीरभद्र सिंह हिमाचल के राजसी परिवार से ताल्लुक रखते हैं और पारिवारिक संपत्ति पदम पैलेस को लेकर वीरभद्र सिंह और उनके भतीजे राजेश्वर सिंह के बीच विवाद चल रहा है। राजेश्वर सिंह का इस पूरे विवाद पर कहना है कि पदम पैलेस उनके दादाजी द्वारा दो हिस्सों में बांटा गया था। यह पारिवारिक मसला है और यह बातचीत के जरिए हल होना चाहिए था, लेकिन इस घटना के बाद वह पुलिस में शिकायत करने को मजबूर हो गए हैं। हालांकि इस पूरे मामले पर अभी तक वीरभद्र सिंह की प्रतिक्रिया नहीं मिल पायी है।