अपने राज्यों से बाहर की जेलों में बंद और भाषा की बाधा से जूझ रहे कैदियों को राहत प्रदान करने की कोशिश करते हुए मद्रास हाई कोर्ट ने सभी राज्यों व संघ शासित क्षेत्रों को 26 अगस्त तक उसे ऐसे कैदियों की सूची सौंपने का निर्देश दिया है। न्यायमूर्ति एस विमला ने कहा कि अपने राज्यों के बाहर ऐसी परिस्थितियों में कई कैदी हो सकते हैं। न्यायमूर्ति विमला ने स्वत: संज्ञान लेते हुए सभी राज्यों व संघ शासित क्षेत्रों के शीर्ष पुलिस व जेल अधिकारियों को प्रतिवादियों के तौर पर शामिल कर लिया और उन्हें ऐसे कैदियों की सूची 26 अगस्त तक सौंपने का निर्देश दिया।
ओड़ीशा के टी सुशांत प्रधान की याचिका पर सुनवाई करते हुए उन्होंने कहा कि प्रधान की भांति कई और हो सकते हैं, जिसने कहा कि वह अपने पिता के अंतिम संस्कार में शामिल नहीं हो पाया। न्यायालय ने कहा कि संभवत: उन्हें ऐसी याचिका दायर करने की सुविधा नहीं हो सकती है। ऐसे कैदियों की पहचान करने और उन्हें जरूरी राहत प्रदान करने की आवश्यकता है।