हरियाणा सरकार ने शुक्रवार को ‘विलुप्त’ हो चुकी सरस्वती नदी को पुनरुज्जीवित करने के लिए अनोखा कदम उठाया। इसके लिए खोदी गई नहर में ट्यूबवेल के जरिए 100 क्यूसेक से ज्यादा पानी छोड़ा गया। यह पानी यमुनानगर में ऊंचा चांदना गांव से छोड़ा गया। अधिकारियों के मुताबिक, यह पानी 40 किमी की दूरी में कुरूक्षेत्र तक बहेगा। हरियाणा सरकार ने एलान किया था कि वो नदी को दोबारा से जीवित करने के लिए इसमें ट्यूबवेल के जरिए पानी छोड़ेगी। सरस्वती हेरिटेड डेवलपमेंट बोर्ड ने अपनी बैठकों में नदी के रूट की सफाई और पानी छोड़ने के लिए 30 जुलाई तक की डेडलाइन तय की थी। इसके लिए ट्रायल 30 जुलाई को हुआ। नदी यमुनानगर, कुरुक्षेत्र और कैथल से गुजरेगी।
हरियाणा सिंचाई विभाग के इंजीनियर इन चीफ अनिल कुमार गुप्ता ने कहा, ‘हमने गुरुवार को ऊंचा चांदना गांव में नदी में पानी छोड़ा। शुरुआत में 100 क्यूसेक पानी छोड़ा गया है। इस पानी के कुरुक्षेत्र तक पहुंचने की संभावना है। यह देखना होगा कि यह पानी आगे कहां तक पहुंचता है। एक बार यह सुनिश्चित हो जाए कि पानी के बहाव में कोई बाधा नहीं आ रही, उसके बाद दोबारा से 100 क्यूसेक पानी छोड़ा जाएगा। ऐसा अगले पखवाड़े तक किया जा सकता है।’
नदी में निरंतर बहाव बनाए रखने के लिए शिवालिक की पहाडि़यों में तीन बांध बनाया जाना प्रस्तावित है। एक आदि बद्री में होगा, दूसरा लौहगढ़ में जबकि तीसरा हरिपुर में। तीन जगहों की पहचान भी की गई है। इन बांधों पर पानी को रोका जाएगा ताकि सरस्वती नदी हमेशा बहती रहे। यमुनानगर में सूखे पड़े वाटर बेड की खुदाई के दौरान पानी मिलने के बाद हरियाणा सरकार ने विलुप्त हो चुकी सरस्वती नदी के मिलने का दावा किया था। हरियाणा के सीएम मनोहर लाल खट्टर ने हाल ही में कहा, ‘हमने कभी नहीं कहा कि सरस्वती जमीन के ऊपर बह रही है। जमीन के अंदर सरस्वती नदी की धारा अब भी कायम है। हालांकि, ये धाराएं कहां हैं और कितनी गहरी हैं, इस बात का आकलन अभी तक नहीं किया जा सका है। रिकॉर्ड के मुताबिक, 150 किमी के इलाके में कभी सरस्वती नदी बहा करती थी।’
खट्टर ने यह भी कहा था कि अगर हम जमीन खोदते हैं तो पानी की स्वाभाविक धारा नहीं मिलेगी। हम दूसरी नदी के पानी को इसकी ओर मोड़ सकते हैं। ऐसा पहली बार नहीं है जब नदियों को आपस में जोड़ा जा रहा है। ऐसा देश मे कई जगह पर हुआ है। व्यास और सतलज नदी को आपस में जोड़ा गया है। इसी तरह से अगर यमुना नदी के पानी को सरस्वती की ओर मोड़ा जाता है और इसका इस्तेमाल सिंचाई या धार्मिक भावनाओं के तहत किया जाता है तो किसी को कोई आपत्ति नहीं होगी।
हरियाणा सरकार सरस्वती नदी के उद्गम स्थल आदि बद्री को एक टूरिस्ट प्लेस को तौर पर डेवलप करने के बारे में भी सोच रही है। इसके अलावा, मानसून के दौरान बाढ़ की वजह बनने वाले सोम नदी को भी सरस्वती के रूट से जोड़ा जा सकता है। हाल ही में केंद्र सरकार की एक बैठक में यह प्रस्ताव रखा गया कि कुरुक्षेत्र यूनिवर्सिटी को सरस्वती नदी से जुड़ी देश के हर संस्थान में चल रही हर रिसर्च का नोडल सेंटर बना दिया जाए।