ऊना में दलितों की 10 दिवसीय यात्रा के समापन के बाद तनाव हो गया। माहौल को शांत करने के लिए पुलिस को समतेर गांव में छह राउंड गोलियां भी चलानी पड़ी। इससे पहले भीड़ ने स्‍थानीय दलितों के इस कार्यक्रम में शामिल होने के विरोध में पथराव किया। इस घटना में चार पुलिसकर्मी और चार अन्‍य लोग घायल हो गए। हिंसा का यह मामला मोटा समधियाला गांव से 10 किलोमीटर दूर हुआ। गौरतलब है कि मोटा समधियाला गांव में ही 11 जुलाई को मरी हुई गाय की खाल उतारने पर सात दलितों की सरेआम पिटाई की गई थी।

ऊना थाने के इंस्‍पेक्‍टर एचजी वाघेला ने बतायश कि पथराव में वे भी जख्‍मी हो गए। उनके अलावा तीन महिला पुलिसकर्मियों को भी चोटें आई हैं। रविवार रात के बाद से चार एफआईआर दर्ज की गई हैं। ये मामले दलितों को रैली में जाने से रोकने और पुलिस कार्यवाही में बाधा डालने से जुड़े हुए हैं। समेतर गांव के दलित प्रकाश परमार ने बताया, ”मैं पुलिस को सुरक्षा के लिए बुलाता रहा लेकिन कोई नहीं आया। आज वे तब आए जब सम्‍मेलन से लौट रहे दलितों पर हमला हुआ।” उन्‍होंने बताया कि जिन दलितों की पिटाई हुई थी वे उनमें से एक के रिश्‍तेदार हैं। उन्‍हें उच्‍च वर्ग के लोगों से धमकियां मिल रही हैं।

ऊना में दलित नेता की धमकी- गंदा काम छोड़ने के बदले दो पांच एकड़ जमीन, नहीं तो होगा रेल रोको आंदोलन

जूनागढ़ रेंज के आईजी ब्रजेश झा ने बताया, ”पुलिस ने भीड़ को तितर-बितर करने के लिए समेतर गांव में छह राउंड गोलियां हवा में चलाई।” उन्‍होंने बताया कि एक अन्‍य गांव रामेश्‍वर पाटिया में भी हिंसा देखने को मिली है। झा ने कहा, ”दोनों गांवों में पुलिस ने भीड़ को भगाने के लिए 10 से ज्‍यादा आ्ंसू गैस के गोले छोड़े। स्थिति काबू में है और आंदोलन के चलते बंद किए गए रास्‍ते खोल दिए गए हैं।” इससे पहले यात्रा के समापन के बाद आयोजित सभा में छह हजार से ज्‍यादा लोग शामिल हुए। इसमें दलितों से खाल उतारने और गटर में उतरने जैसे काम न करने को कहा गया। साथ ही दलितों को पांच एकड़ जमीन देने की मांग भी की गई।