दलित परिवार की पिटाई के बाद गुजरात में एक दलित नेता उभरकर सामने आ रहा है। जो शख्स गुजरात में दलित आंदोलन को संभाले हुए है उसका नाम जिगनेश मेवानी है। जिगनेश 35 साल के हैं और गुजरात में चल रहे दलित आंदोलन का प्रमुख चेहरा हैं। जिगनेश ने इंग्लिश लिट्रेचर से ग्रेजुएशन किया है, वह पत्रकार भी रह चुके हैं। फिलहाल वह वकालत कर रहे हैं। ऊना में दलितों पर हुए अत्याचार के बाद जिगनेश ने ही दलित लोगों को समाज की गंदगी उठाने से मना किया था। इसमें तय हुआ था कि दलित समुदाय के लोग ना तो मैला उठाएंगे और ना ही मरे हुए पशुओं को लेकर जाएंगे।
AAP के साथ हैं: इन सब के साथ मेवानी गुजारत में आम आदमी पार्टी के प्रवक्ता भी हैं। अपने राजनीतिक करियर के बारे में बात करते हुए उन्होंने इंडियन एक्सप्रेस से कहा, ‘200 प्रतिशत मैं राजनीति में आऊंगा। लेकिन मैं आम आदमी पार्टी से इसलिए जुड़ा हूं ताकि दलित समुदाय के लिए जो मैं करना चाहता हूं वह सब कर सकूं।’
जिगनेश को लगता है कि अगर दलित समुदाय के लोग पहले से साथ आ जाते तो ऐसा नहीं होता। वह 2012 में गुजरात में तीन दलितों की हत्या का मुद्दा उठाते हुए वह कहते हैं कि अगर सब लोग तब एक हुए होते तो यहां तक की नौबत ही नहीं आती। हालांकि, जिगनेश यह भी मानते हैं कि अबकी बार सब लोग उनके साथ हैं जिसमें दलित के अलावा मुस्लिम और बाकी जातियों के लोग भी शामिल हैं।
1980 में जन्मे मेवानी का घर मेहसाणा जिले में है। उनका घर जिस इलाके में वहां दलित ज्यादा हैं। उनके पिता अहमदाबाद म्यूनिसिपल कॉर्पोरेशन में क्लर्क थे जो कि अब रिटायर हो चुके हैं। उन्होंने अपनी ग्रेजुएशन अहमदाबाद के H K Arts College से की थी। वहीं उन्होंने पत्रकारिता की पढ़ाई Bhavan’s College से की थी। मेवानी ने गुजराती मैगजीन और एक गुजराती अखबार के लिए लगभग 4 साल तक काम किया है।