गुजरात हाई कोर्ट ने कहा है कि वेश्यालय जाने वाले व्यक्ति को ट्रैफिकिंग के लिए जिम्मेदार नहीं माना जा सकता, हालांकि कोर्ट ने यह भी कहा कि अगर आरोप साबित हो जाते हैं तो वह इनसे छूट भी नहीं सकता। कोर्ट ने अपने आदेश में यह भी कहा कि शारीरिक शोषण की धारा 370 और इसका संशोधन तब लागू नहीं होगा अगर सेक्स वर्कर अपनी मर्जी से वेश्यावृत्ति के पेशे में आई है।
सुरत के रहने वाले विनोद बागुभाई पटेल ऊर्फ विजय के खिलाफ इम्मोरल ट्रैफिक (रोकथाम) एक्ट की धारा 3, 4 और 5 के तहत लगे आरोपों को खारिज करते हुए जस्टिस जेबी पारदीवाला ने पुलिस को जांच करने के आदेश दिए हैं। फैसले में कहा गया, “मेरा मानना है कि प्रार्थी को अनैतिक यातायात (रोकथाम) अधिनियम के तहत अपराध के लिए जिम्मेदार नहीं मान सकते। ऐसा नहीं कहा जा सकता कि प्रार्थी ने महिला को जबरन वेश्यावृत्ति में धकेला है। धारा 370 के तहत, “कोई भी व्यक्ति किसी दूसरे उसकी बिना मर्जी के आयात, निर्यात, खरीदता है, बेचता है या निपटान करता है उसे सजा दी जाएगी।”
बता दें कि नशीली दवाओं और हथियारों के कारोबार के बाद मानव तस्करी विश्व भर में तीसरा सबसे बड़ा संगठित अपराध है। संयुक्त राष्ट्र की परिभाषा के अनुसार ‘किसी व्यक्ति को डराकर, बलप्रयोग कर या दोषपूर्ण तरीके से भर्ती, परिवहन या शरण में रखने की गतिविधि तस्करी की श्रेणी में आती है’। भारत को एशिया में मानव तस्करी का गढ़ माना जाता है। पिछले एक दशक में, मानव तस्करी के अंदर जो दूसरे मामले दर्ज किए हैं उनमें वेश्यावृत्ति के लिए लड़कियों की बिक्री, विदेश से लड़कियों का आयात एवं वेश्यावृत्ति के लिए लड़कियों की खरीद शामिल है।
