गुजरात फतह के लिए राजनीतिक दलों की ओर से सारे पासे फेंके जा रहे हैं। इस वक्त गुजरात के सियासी माहौल में गजब की सरगर्मी है। रात के सन्नाटे में वफादारी बदलने की कीमत लगाई जाती है। गुजरात के सौराष्ट्र में कुछ ऐसा ही माहौल है। रात का काफी वक्त गुजर चुका है, लेकिन एक शख्स के चेहरे पर बेचैनी तारी है, उसकी निगाहें फोन की स्क्रीन पर टिमटिमाते नंबरों पर है। कई बार वह फोन उठाता है कई बार मोबाइल की घंटी बजकर शांत हो जाती है। लेकिन हर बार इस बाहुबली का टेंशन लेवल बढ़ता ही जाता है। सिर पर आए पसीने की बूंदों को पोछते हुए यह शख्स आखिर कहता है, ‘देखिए ये 60वां कॉल है, पाला बदलने के लिए जबर्दस्त दबाव है, मैं उनके कॉल उठाना पसंद नहीं करता हूं, उनके साथ खुद को नहीं जोड़ना चाहता हूं, लेकिन वह लोग आते रहते हैं, हद हो गई, कल मैं बैंकॉक जा रहा हूं।’ दबाव इस कदर है कि ये शख्स अपनी पहचान सार्वजनिक नहीं करना चाहता है। लेकिन हम आपको बता दें कि सौराष्ट्र के चोटिला इलाके का यह बाहुबली पिछले कुछ सालों से इस इलाके में कांग्रेस से जुड़ा बड़ा नाम बन गया है। इस शख्स ने कांग्रेस में जान फूंकने में बड़ा रोल निभाया है।

जिस शख्स की हम चर्चा कर रहे हैं वो चुनाव में उम्मीदवार नहीं हैं। लेकिन इसका लगभग 500 वोटों पर नियंत्रण है। इसके अलावा यह धनकुबेर कई छोटे-मोटे बिजनेस का मालिक है, कई लोग इसके यहां ना सिर्फ काम करते हैं बल्कि इसके इशारे पर वोट भी करते हैं। सुरेन्द्रनगर जिले में नेशनल हाईवे 8A के पास बसे चोटिला की आबादी 2 लाख 26 हजार है। इस बार यहां का चुनाव  कांटे का संघर्ष लग रहा है।यहां पर कांग्रेस के रित्विक मकवाना बीजेपी के जिनाभाई देदवारिया के खिलाफ मैदान में हैं। दोनों ही नेता कोली समुदाय से ताल्लुक रखते हैं और दोनों का अपना वोट बैंक है।

मतदाताओं का मूड बदलने की हैसियत रखने वाले इस शख्स का कहना है कि चुनाव से दो-तीन दिन पहले यहां पर कुछ स्थानीय मुद्दे बेहद अहम हो जाते हैं जैसे व्यक्तिगत रिश्ते, मंदिरों में कल्याणकारी काम, दूसरी स्थानीय संस्थाओं को दान-चंदे, एक बार ये मुद्दे सामने आते हैं तो बाकी सारे दूसरे मुद्दे, बड़े-बड़े चुनावी डायलॉग पीछे रह जाते हैं।