ग्रेटर नोएडा से 9 हजार से अधिक फ्लैट खरीदारों को इलाहाबाद हाईकोर्ट से बड़ी राहत मिली है। हाईकोर्ट ने यमुना विकास प्राधिकरण के उस फैसले को सही ठहराया है जिसमें उसने जेपी एसोसिएट्स लिमिटेड (जेएएल) को आवंटित एक हजार हेक्टेयर जमीन को रद्द कर दिया था। इस जमीन पर 14 प्रोजेक्ट का निर्माण किया जाना था जिसमें करीब 9000 फ्लैट बनाए जाने थे। अब इसका काम पूरा करने की जिम्मेदारी यमुना विकास प्राधिकरण को सौंपी गई है।

हाईकोर्ट ने कमेटी का किया गठन

हाईकोर्ट ने खरीदारों को राहत देते हुए प्रमुख सचिव औद्योगिक विकास की अध्यक्षता में समिति का गठन किया है। इतना ही नहीं साल 2020 से अब तक के समय को शून्य काल घोषित किया गया है। यह कमेटी खरीदारों से जुडे़ सभी तरह के मामलों का निपटारा करेगा। इलाहाबाद हाईकोर्ट ने परियोजना के पूरा होने, वित्तीय सुरक्षा और कानूनी सुरक्षा उपायों को सुनिश्चित कर घर खरीदारों के हितों को प्राथमिकता दी है। यमुना प्राधिकरण को अधूरी परियोजनाओं को अपने हाथ में लेने और उन्हें समयसीमा के भीतर पूरा करने का आदेश दिया गया है। अपना रिफंड लेने वाले खरीदारों के लिए एक औपचारिक निकास नीति भी बनाने का आदेश दिया है।

क्या है पूरा मामला?

यमुना विकास प्राधिकरण ने जेपी को साल 2009 में जेपी इंटरनेशनल स्पोर्ट्स को स्पोर्ट्स सिटी के विकास के लिए विशेष विकास क्षेत्र (एसडीजेड) योजना के तहत 1000 हेक्टेयर भूमि आवंटित की थी। इसी जमीन पर बुद्ध इंटरनेशनल सर्किट बनाया गया है। इसी जमीन पर 14 आवासीय परियोजनाओं का भी निर्माण किया जाना था। जेपी ने यमुना विकास प्राधिकरण को जमीन का भुगतान नहीं किया। इसके बाद प्राधिकरण ने फरवरी 2020 में भूखंड निरस्त कर दिया। प्राधिकरण के इस आदेश को जेपी ने हाईकोर्ट में चुनौती दी।

बता दें कि जेपी और यमुना प्राधिकरण के बीच बकाए की राशि को लेकर पिछले काफी समय से विवाद चला आ रहा है। यमुना प्राधिकरण का कहना है कि जेएएल पर भूमि प्रीमियम, पट्टा किराया और अतिरिक्त किसान मुआवजे सहित 3,621 करोड़ रुपये बकाया हैं। वहीं जेपी ने यह राशि महज 1,483 करोड़ बताई है। इसी को लेकर दोनों के बीच विवाद चला आ रहा है। मथुरा से लेकर संभल, काशी से अयोध्या तक… यूपी में होली पर हाई अलर्ट, संवेदनशील इलाकों में पीएसी तैनात