केंद्र सरकार समाचार पत्र और पत्रिकाआें में प्रत्यक्ष विदेशी निवेश (एफडीआइ) सीमा बढ़ाने के पक्ष में नहीं है। सरकार ने अखबारों और पत्र-पत्रिकाआें में एफडीआइ सीमा को 26 से आगे नहीं बढ़ाने का फैसला किया है। फिलहाल एफडीआइ नीति के तहत खबरों और मौजूदा घटनाक्रमों का प्रकाशन करने वाले समाचार पत्र और पत्रिकाआें के प्रकाशन में 26 फीसद प्रत्यक्ष विदेशी निवेश की अनुमति है। प्रिंट मीडिया में एफडीआइ सीमा बढ़ाने का प्रस्ताव काफी समय से लंबित है। आर्थिक मामलों के विभाग (डीईए) ने हाल में औद्योगिक नीति व संवर्द्धन विभाग (डीआइपीपी) से इस प्रस्ताव को देखने को कहा था।

सूत्रों ने बताया कि डीआईपीपी ने डीईए को भेजे पत्र में स्पष्ट किया है कि विचार विमर्श के बाद प्रिंट मीडिया में एफडीआइ सीमा नहीं बढ़ाने का फैसला किया गया है। सूत्रों ने कहा कि प्रिंट मीडिया में एफडीआइ को उदार बनाने पर पिछले साल नवंबर और जून में नियमों को उदार किए जाने के समय भी विचार किया गया। दोनों मौकों पर मौजूदा सीमा में बदलाव नहीं करने का फैसला किया गया। सरकार ने हाल में नागर विमानन, रक्षा, निजी सुरक्षा एजंसियों, फार्मास्युटिकल्स तथा खाद्य प्रसंस्करण उद्योग में एफडीआइ नियमों को उदार किया है। इस कदम का मकसद अधिक विदेशी निवेश आकर्षित करना है। वित्त वर्ष 2015-16 में देश में एफडीआइ का प्रवाह 29 फीसद बढ़कर 40 अरब डालर पर पहुंच गया, जो इससे पिछले वित्त वर्ष में 30.93 अरब डालर था।