जर्मनी की रहने वाली एक महिला को भारत यात्रा के दौरान गायों से ऐसा प्यार हुआ कि वह पिछले 40 सालों से मथुरा के गोवर्धन में रहकर बीमार गायों, बछड़ों की सेवा कर रही हैं। लेकिन अब कानूनी अड़चनों के कारण इस जर्मन महिला को वापस अपने देश लौटना होगा। बता दें कि जर्मनी की रहने वाली फ्रेडरिक इरिन ब्रूनिंग 1972 में भारत घूमने आयी थी। इस दौरान जब वह ब्रज भूमि आयी तो उन्हें सड़क किनारे एक गाय तड़पती दिखाई दी। इससे फ्रेडरिक इरिन काफी दुखी हुई और उन्होंने भारत में रहकर ही गायों की सेवा करने का संकल्प ले लिया। ब्रूनिंग ने गोवर्धन के राधा कुंड से कुछ ही दूरी पर स्थित कोन्हई गांव में 5 बीघा जमीन किराए पर लेकर गायों की सेवा शुरु कर दी। इतना ही नहीं ब्रूनिंग ने अपना नाम भी बदलकर सुदेवी दासी रख लिया और गायों की सेवा में ही अपना पूरा जीवन समर्पित कर दिया।
40 साल भारत में रहने के बाद अब वीजा संबंधी कानूनी अड़चनों के चलते सुदेवी को जर्मनी वापस लौटना पड़ेगा। इस बात से सुदेवी काफी दुखी हैं। अपनी वीजा अवधि बढ़वाने के लिए सुदेवी ने मथुरा की सांसद हेमामालिनी से भी मदद की गुहार लगायी है। इस पर हेमामालिनी ने कहा है कि वह विदेशमंत्री सुषमा स्वराज से खुद इस संबंध में बात करेंगी। साथ ही हेमामालिनी ने सुदेवी द्वारा की गई गौसेवा की भी खूब तारीफ की और भारतीयों को भी सुदेवी से सीख लेने की नसीहत दी।
1300 गायों, बछड़ों का ठिकाना है सुदेवी की गौशालाः गौरतलब है कि सुदेवी की गौशाला राधा सुरभि गौशाला करीब 1300 गायों, बछड़ों और बैलों का ठिकाना है। सुदेवी को जो भी बीमार गाय या बछड़ा, बैल सड़क किनारे बीमार दिखाई देता तो वह उसे अपनी गौशाला में ले आती। आज इसी तरह उनके पास 1300 गाय बछड़े हो गए हैं। अधिकतर गाएं किसी बीमारी या फिर जख्मों से पीड़ित हैं। कई गाएं तो ऐसी भी हैं, जिन्हें दिखाई नहीं देता। लेकिन सुदेवी बिना किसी स्वार्थ के इन गायों की सेवा करती हैं। यही नहीं सुदेवी की गौशाला में करीब 60 लोग काम करते हैं। सुदेवी का गाय प्रेम देखकर अब स्थानीय लोग भी भारत सरकार से इनका वीजा बढ़ाने की अपील कर रहे हैं।
