चंडीगढ़ नगर निगम के मुख्य अभियंता संजय अरोड़ा को 24 अक्टूबर को उनके पद से हटा दिया गया। संजय अरोड़ा जनता के लिए उपलब्ध नहीं रहते थे और इसका खुलासा द इंडियन एक्सप्रेस की एक रिपोर्ट में हुआ था। रिपोर्ट के कुछ दिनों बाद शुक्रवार को उन्हें उनके पद से हटा दिया गया। यह कार्रवाई उपराज्यपाल गुलाब चंद कटारिया द्वारा जारी निर्देशों के आधार पर की गई। चंडीगढ़ की मेयर हरप्रीत कौर बबला ने इस घटनाक्रम की पुष्टि की है। अभी तक कार्यभार किसी और को नहीं सौंपा गया है।

8 दिन तक पत्रकारों ने की बात करने की कोशिश

6 अक्टूबर को द इंडियन एक्सप्रेस ने इस बात पर प्रकाश डाला था कि कैसे आठ दिनों की अवधि में रिपोर्टर्स ने संजय अरोड़ा से मिलने की कोशिश की। पत्रकार एक मुद्दे पर अपनी शिकायत रखने के उद्देश्य से आम नागरिक बनकर उनसे मिलना चाहते थे लेकिन निर्धारित सार्वजनिक समय के दौरान भी अधिकारी संजय अरोड़ा दिखे तक नहीं मुलाक़ात की बात तो दूर रही।

प्रशासन दावा करता है कि उसके अधिकारी जनता के लिए आसानी से उपलब्ध हैं। हालांकि शहर के मुख्य बुनियादी ढांचे और सेवाओं की देखरेख करने वाले मुख्य अभियंता के स्तर पर द्वार पूरी तरह से बंद रहे। यहां तक कि अधिसूचित ‘जनसभा समय’ के दौरान भी उनके कार्यालय के बाहर इंतज़ार कर रहे नागरिकों को उनके कर्मचारियों द्वारा केवल एक ही बात बताई गई कि अरोड़ा मीटिंग में हैं।

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रोजगार की तलाश में जुटी विधवा से लेकर सड़कों और नालियों को लेकर चिंतित छात्रों तक उनकी शिकायतें उस अधिकारी तक कभी नहीं पहुंचीं, जिन्हें उनका समाधान करने का ज़िम्मा सौंपा गया था। अधिकारियों और निवासियों के बीच की दूरी को पाटने के लिए आयोजित जनसभा समय भी बंद ही रहा।

संजय अरोड़ा ने सफाई में क्या कहा?

बाद में जब संजय अरोड़ा से पूछा गया कि क्या वे सार्वजनिक समय के अनुसार लोगों से मिल रहे हैं, तो उन्होंने कहा, “हाँ, बिल्कुल, 12 से 1 मिलता हूं सबसे।” जब उन्हें बताया गया कि कई दिनों से कोई भी पत्रकार उनसे संपर्क नहीं कर पा रहा है, तो उन्होंने जवाब दिया, “मैं अपने निजी सहायक का नंबर दे सकता हूं। वे अपॉइंटमेंट तय कर सकते हैं।” जब संजय अरोड़ा को याद दिलाया गया कि वे 24 सितंबर से जनता के लिए उपलब्ध नहीं हैं, तो उन्होंने कहा, “शायद मैं कहीं व्यस्त हूं।”