सर्दी का मौसम प्रभावी होते ही प्रवासी पक्षियों का शिकार भी शुरू हो जाता है। कुछ शिकारी नदियों के किनारे रहने वाले प्रवासी पक्षियों को मार रहे हैं और ऐसा एक मामले में वीडियो वायरल हुआ है जिसमें एक प्रवासी पक्षी को भूनते हुए एक व्यक्ति खा रहा है। उत्तर प्रदेश में इटावा जिले के बलरई क्षेत्र में यमुना की तलहटी के किनारे से आए एक वीडियो में साफ दिखाई दे रहा है कि एक शख्स यूरोपीय पक्षी रैडिसन चक को मार कर उसको भून रहा है। उसके बाद उसके मांस को पका कर खा रहा है।
बलरई क्षेत्र में यमुना नदी की तलहटी में दक्षिणी यूरोप मंगोलिया तथा चाइना से पक्षी रेडीसन डक शीत ऋतु के प्रारंभ होते ही आने लगते हैं और सर्दी खत्म होने पर अपने देश लौट जाते हैं। इन पक्षियों को साधारण भाषा में चकवा-चकवी भी कहते हैं। वहीं धार्मिक मान्यता के अनुसार इसका एक नाम ब्राह्मनी डक भी है। यह पक्षी जब भारत में प्रवेश करते हैं तब यह पहाड़ी क्षेत्रों में नहीं जाता बल्कि मैदानी क्षेत्रों में ही आते है।
कौन से पंछी आते हैं
भारत आने वाले पक्षियों में साइबेरिया से पिनटेल डक, शोवलर, डक, कामनटील, डेल चिक, मेलर्ड, पेचर्ड, गारगेनी टेल तो उत्तर-पूर्व और मध्य एशिया से पोचर्ड, कामन सैंड पाइपर के साथ-साथ फ्लेमिंगो भी आते हैं। भारतीय पक्षियों में शिकरा, हरियल कबूतर, दर्जिन चिड़िया, पिट्टा, स्टॉप बिल डक आदि प्रमुख हैं।
ऐसा कहा जाता है कि जब प्रवासी पक्षी देर शाम जलाशयों के किनारे बसेरा करते हैं या फिर जल्द सुबह उड़ान भरने की तैयारी करते हैं, तो शिकारी जलाशयों के नजदीक लगाए हुए जालों को खोल देते हैं, जिनमें ये पक्षी फंस जाते हैं। इन पक्षियों को मांसाहार के अलावा स्थानीय बाजार में जिंदा बेचने के लिए भी पकड़ा जाता है।

मेरे संज्ञान मे लाया गया है कि इटावा में कुछेक शिकारी किस्म के लोग प्रवासी पक्षियों का शिकार करने मे लगे हुए है । उनकी तस्दीक करके कार्रवाई करने के लिए इलाकाई वन अधिकारियों को सख्त निर्देश दिए गए हैं।
-के सुंदरम
जिला वन अधिकारी इटावा

इटावा में इन पक्षियों का प्रवास रहता है लेकिन इन क्षेत्रों में शिकारी इनका अवैध शिकार कर रहे हैं जिस कारण इन पंछियों की संख्या में लगातार कमी आ रही है। पिछले साल की तुलना में इस बार प्रवासी पक्षी कम आए हैं।
-संजीव चौहान, महासचिव
पर्यावरणीय संस्था सोसायटी फॉर कंजरवेशन आॅफ नेचर