देवबंद ने मुस्लिम महिलाओं और युवतियों के लिए एक बार फिर से अजीबोगरीब फतवा जारी किया है। इसमें महिलाओं को फुटबॉल न देखने की नसीहत दी गई है। मुफ्ती अतहर कासमी ने कहा कि मुस्लिम महिलाओं को फुटबॉल नहीं देखना चाहिए, क्योंकि उसमें पुरुष खिलाड़ी के घुटने खुले होते हैं। कासमी ने कहा, ‘सऊदी अरब के मुफ्ती ने फुटबॉल देखने को लेकर जो फतवा दिया है वह बिल्कुल दुरुस्त है। उसमें कई वजहें भी बताई गई हैं। खिलाड़ी के घुटने खुले होते हैं। महिलाओं के लिए तो मर्दों को देखना ही जायज नहीं है, फिर घुटने को देखना तो बिल्कुल नाजायज और हराम है।’ सऊदी अरब में वर्ष 2015 में फतवा जारी किया गया था। इसमें महिलाओं द्वारा फुटबॉल देखने को गलत करार दिया गया था। देवबंद के मौलवी ने उसी को आधार बनाकर फतवा जारी किया है। भारत में पहली बार महिलाओं को फुटबॉल न देखने को कहा गया है।
Fatwa against women watching men's football
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कुछ दिनों पहले ही देवबंद ने दो अलग-अलग फतवे जारी किए थे। एक फतवे में बैंक में नौकरी करने वाले परिवार में शादी करने से परहेज करने को कहा गया था। दूसरे फतवे में अंगों को दिखाने वाले तंग बुरके न पहनने की नसीहत दी गई थी। दरअसल, देवबंद के फतवा विभाग ‘दारुल इफ्ता’ से बैंक में नौकरी करने वाले परिवार में शादी करने को लेकर पूछा गया था। एक व्यक्ति ने पूछा था कि उनके पास कुछ ऐसे परिवारों से रिश्ते आए हैं, जिनमें लड़की के पिता बैंक में नौकरी करते हैं। उन्होंने सवाल किया था कि चूंकि बैंकिंग सिस्टम ब्याज पर आधारित है जो इस्लाम में हराम है। इस स्थिति में ऐसे परिवार में शादी करना उचित होगा? इस पर दिए गए फतवे में कहा गया ‘हराम की दौलत से पले-बढ़े लोग आमतौर पर सहज प्रवृत्ति और नैतिक रूप से अच्छे नहीं होते हैं। लिहाजा, ऐसे घरों में रिश्ता करने से परहेज करना चाहिए।’
दारुल इफ्ता ने एक अन्य फतवे में कहा था कि मुस्लिम महिलाओं के लिए शरीर को दिखाने वाले डिजाइनर बुरके पहनना गुनाह है। इससे वे बुरी नजर का शिकार होती हैं। फतवे में कहा गया कि हिजाब के नाम पर डिजाइनर और स्लिम फिट बुरका पहनना हराम है, जिसकी इस्लाम में सख्त मनाही है। मालूम हो कि शरीयत में ब्याज वसूली के लिए रकम देना और लेना शुरू से ही हराम माना जाता रहा है। इसके अलावा इस्लामी सिद्धांतों के मुताबिक हराम समझे जाने वाले कारोबारों में निवेश को भी गलत माना जाता है।