पुराने नोट बदलने के आखिरी दिन शुक्रवार को एम्स की लाल इमारत सीएन टावर के काउंटर पर भुगतान के लिए खड़े मरीज मातादीन (बदला नाम) को बताया गया कि यहां नोट जमा नहीं होंगे। कई लोगों से मांग कर इकट्ठा किए नए नोट को दिखाते हुए उन्होंने दलील दी कि ये पुराने नहीं नए नोट हैं। काउंटर पर जवाब मिला कि नोट कोई भी जमा नहीं होगा। पैसा कार्ड से जमा होगा या फिर चेक से कह कर कर्मचारी स्वाइप मशीन पर झुक गया। तमाम अस्पताल कैशलेस सेवा शुरू करने के आदेश पर अमल के लिए तैयारी में हैं। लेकिन चुनौतियां भी कई व कड़ी हैं जिनका समाधान फिलहाल नहीं सूझ रहा है।
चार दिन पहले आई मशीन और नकदी बंद
मातादीन की पूछताछ का सिलसिला यहां से शुरू हुआ कैसा कार्ड? कहां मिलेगा? कैसे लाएं? या फिर बैंक से लें। यहां करीब 40 से 50 फीसद मरीज गांवों से ऐसे आते हैं जिनके पास न तो एटीएम कार्ड है न ही इनके पास चेक या पासबुक है। मातादीन ने बताया कि वे किसी तरह से कई लोगों से मांग कर नए नोट लेकर तो आए पर वह भी यहां बेकार साबित होते देख दिमाग नहीं चल रहा। यहां कह रहे हैं बैंक से बना लो, अब कल देखेंगे। मुश्किल यह है कि इलाज कराएं कि बैंक के चक्कर लगाएं। कर्मचारी ने बताया कि एम्स में तीन-चार दिन पहले स्वाइप मशीन आई है। काउंटर पर कैश न लेने का आदेश है।
मुफ्त जांच भी हुई बंद
भुगतान काउंटर पर करीब 50 फीसद ऐसे मरीज थे जो दूरदराज से आए और किसी तरह मांग-मांग कर नए नोट लाए थे। पर वह जमा नहीं हो रहा। इसके साथ ही कैबिनेट सचिव ने सफदरजंग, आरएमएल व लेडी हार्डिंग को भी कैशलेस भुगतान शुरू करने का निर्देश दिया है। हालांकि, सरकारी अस्पताल होने के नाते इनमें ज्यादातर चिकित्सा सुविधाएं मुफ्त हैं। फिर भी आरटीआइ व तमाम जांचों के लिए पैसे चाहिए। यों तो डाक्टरों का परामर्श, सर्जरी और कई तरह की खून की जांच मुफ्त होती हैं। लेकिन अल्ट्रासाउंड, सीटी स्कैन, एमआरआइ, जांच के लिए 50 रुपए से लेकर 2500 रुपए तक शुल्क तय है।
500 और एक हजार रुपए के पुराने नोट बंद होने पर सफदरजंग अस्पताल प्रशासन ने हर तरह की जांच मुफ्त कर दी थी, लेकिन अस्पताल प्रशासन ने अब इस आदेश को वापस ले लिया है। इसलिए अब मरीजों की निशुल्क जांच नहीं की जा रही है। इलाज की कैशलेस व्यवस्था लागू करने के लिए अस्पताल को कम से कम 15 स्वाइप मशीन की जरूरत है, लेकिन पहले अस्पताल में मौजूद बैंक आॅफ बड़ौदा से पांच स्वाइप मशीनें मांगी गई हैं। आगे इसे चरणबद्ध तरीके से लागू करेंगे।
मशीन की भी हुई किल्लत
महर्षि वाल्मीकि अस्पताल में आए एक आरटीआइ कार्यकर्ता संदीप को प्रार्थनापत्र व सवालों के साथ बैरंग होना पड़ा क्योंकि यहां भी कैश जमा करने की मनाही है। दस रुपए हर सवाल के आवेदन के साथ देने को वे तैयार हंै पर मशीन नहीं होने से यह नहीं हो सका। अस्पताल के चिकित्सा अधीक्षक डॉक्टर विजडन डे ने कहा कि हां हमे कैशलेस करने का आदेश मिला है, हमने उस पर कार्रवाई शुरू की है। इसके लिए हमे ईडीसी मशीन चाहिए। हमारे अस्पताल का खाता एसबीआइ में है। हमने उनके यहां मशीन की मांग के लिए आवेदन भेज दिया है। लेकिन अभी बैंक का कहना है कि तमाम सरकारी दफ्तरों से बड़े पैमाने पर स्वाइप मशीन की मांग आई है। इसलिए मशीन अभी नहीं मिल पाएगी। हमने सिफारिश की कि अस्पताल की प्राथमिकता स्तर पर काम हो। लेकिन फिलहाल मशीन नहीं मिल पाई है। आज भी कर्मचारी भेजा था।
बिना इंटरनेट कैसे हो काम!
डॉक्टर डे की आशंकाएं और चिंता यह भी है कि मशीन निर्बाध ढंग से चलेगी कैसे क्योंकि इंटरनेट आए दिन खराब रहता है। चंूकि यह सरकारी अस्पताल है तो इसमें एमटीएनएल का इंटरनेट लगा है जो कि बहुत खराब प्रदर्शन करता है। एक बार खराब होने पर शिकायत करने पर कई दिन तक कर्मचारी आते ही नहीं ठीक करने। जब अस्पताल और इमरजेंसी होने की दलील के साथ अपील की जाती है तो वे 10-15 दिन में आते हैं। ठीक करने पर भी सही चल जाए तो आप की किस्मत। उन्होंने बताया कि एमटीएनएल के इंटरनेट की रफ्तार दो एमबीपीएस है। किसी तरह नेट काम भी करने लगे तो बिजली का कोई सही इंतजाम नहीं। पता चला, सभी ठीक है तो मशीन चलाने वाले छुट्टी पर। मरीज का काम समय पर हो यह एक बड़ी चुनौती है ही। ऐसे में तमाम व्यावहारिक दिक्कतें भी हैं, जिनका ठोस समाधान किए बिना कैशलेस सही से नहीं चल पाएगा। सौ फीसद व्यवस्था कैशलेस हो तभी फायदा है अन्यथा सारी कवायद बेकार चली जाएगी।
जीबी पंत अस्पताल के डॉक्टर मोहित ने बताया कि हम कैशलेस इंतजाम के लिए आगे बढ़ रहे हैं। बैठक हुई है। इसके लिए अगले तीन-चार दिन में मशीनें आ जाएंगी तो हम शुरू भी कर देंगे। यहां कर्मचारी यूनियन के नेता एमएस राणा ने कहा कि अगर एक्सिस बैंक के पास मरीजों के लिए मशीन लग जाए तो बड़ी राहत होगी। हालांकि काफी मरीज गांवों की ओर से आते हैं, उनका समाधान भी देखना होगा।
ठिठका खड़ा है मातादीन
पुराने नोट बदलने के आखिरी दिन शुक्रवार को एम्स की लाल इमारत सीएन टावर के काउंटर पर भुगतान के लिए खड़े मरीज मातादीन (बदला नाम) को बताया गया कि यहां नोट जमा नहीं होंगे।
Written by प्रतिभा शुक्ल
नई दिल्ली
Updated: 
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First published on: 31-12-2016 at 01:24 IST