नोटबंदी को गुरुवार को पूरा एक महीना बीत गया है। नोटबंदी के बाद फूलों का कारोबार कुम्हला सा गया है। एक तरफ लोग चाह कर भी शादी-विवाह के लिए फूल नहीं खरीद पा रहे हैं। दूसरी तरफ दुकानों पर फूल सड़ रहे हैं और किसान को अपनी फसल औने-पौने दामों पर बेचनी पड़ रही है। एक अनुमान के मुताबिक यहां फूलों का कारोबार 80 फीसद तक गिर गया है। इटावा मुख्यालय के डा.राममनोहर लोहिया पार्क में स्थापित फ्लावर स्टोर की संचालिका ज्योति सक्सेना का कहना है कि नोटबंदी से पहले जहां प्रतिदिन कम से कम दस हजार रुपए की ब्रिकी बड़े आराम से हो जाती थी लेकिन अब यह गिरकर मात्र हजार से दो हजार रुपए रह गई है। ऐसी स्थिति में स्टोर में काम करने वालों को मासिक पगार देना मुश्किल हो गया है।
नोटबंदी से फूल व्यापारी और फूल की खेती करने वाले किसान परेशान हैं। सहालग में फूलों की डिमांड कम होने से फूलों की खेती करने वाले किसानों को कम दामों पर फूल बेचने पड़ रहे हैं। व्यापारियों की मानें तो पहले लोग दूल्हे की गाड़ी को सजाने के लिए बुके और फूलमाला बनवाते थे, लेकिन नोटबंदी के बाद से लोग कम से कम फूल खरीद रहे हैं। हाल यह हो गया है कि शादी-विवाह में फूलों से स्टेज बनाने के लिए पहले की तुलना में आधे फूलों का इस्तेमाल हो रहा है।
शादी में स्टेज बनाने के काम से जुड़े शराफत हुसैन का कहना है कि फूलों के विकल्प के तौर पर अब गुब्बारोें काम चलना पड़ रहा है क्योंकिनोटबंदी के बाद लोगों ने फूल खरीदना कम कर दिया है। ऐसे में विकल्प के तौर पर गुब्बारों का प्रयोग किया जा रहा है ताकि सजावट सस्ते में हो जाए। इटावा के सराय दयानत स्थित गंगवार नर्सरी सेंटर को जहां सहालग में लाखों रुपए की आमदनी होती थी वहां आज आमदनी सिमट कर हजारों में रह गई है। नर्सरी के माली अमित बताते हैं कि हर बार सहालग में एक से डेढ़ लाख का व्यापार हो जाता था लेकिन इस बार 20 से 25 हजार में सिमट कर रह गया। व्यापारियों के मुताबिक फूलों की बिक्री में 80 फीसदी की गिरावट दर्ज की गई है।
इटावा के नयाशहर चौक में फूलों की कई दुकाने हैं। यहां जो बुके पहले वो 500 की बिकती थी, वह अब 200 से 250 रुपए में बिकती है। सहालग में 100 रुपए किलो बिकने वाला गेंदा का फूल 50 रुपए और 200 से 250 रुपए में बिकने वाला गुलाब 100 रुपए किलो बिक रहा है। फूल व्यापारी जाकिर कहते हैं कि फूल को टूटने के बाद रोकना मुश्किल होता है। ठंड होने से गेंदा का फूल तो टूटने के बाद तीन से चार दिन तक रुक भी जाता है जबकि गुलाब दूसरे दिन ही सूखने लगता है। इसलिए गुलाब में लगातार घाटा हो रहा है।
इटावा में पक्का तालाब चौराहे पर फूलों का स्टाल लगा कर अपना रोजगार करने वाले संजय माली का कहना है कि नोटबंदी ने रोजगार को सिमटा करके रख दिया है। पहले एक दिन में करीब पचास किलो फूल बेचते थे लेकिन अब पूरे दिन मे पांच किलो भी फूल नहीं बिक पा रहा है। इटावा के जिला उद्यान अधिकारी राजेंद्र कुमार शाहू का कहना है कि बिल्कुल फूलों और पेड़ों की खरीद फरोख्त हालिया दिनों में प्रभावित हुई है जिसको नोटबंदी से जोड़ कर देखा जा सकता है।