इसे मानवता की बड़ी मिसाल कहा जा सकता है कि देश की राजधानी नई दिल्ली में रहने वाले एक प्रोफेसर 2500 किलोमीटर दूर रह रहे एक बस सफाईकर्मी को अपनी किडनी देंगे। दिल्ली स्थित जामिया हमदर्द यूनिवर्सिटी के मैनेजमेंट स्टडीज के प्रोफेसर सखी जॉन 21 दिसंबर को केरल के त्रिशूर जिले के पीची में रहने वाले शाजू पॉल को अपनी किडनी देंगे। वन विभाग की जमीन पर बनी एक छोटी सी झोपड़ी में शाजू पॉल रहते हैं। उनका किडनी ट्रांसप्लांट कोच्चि के लेकशोर हॉस्पिटल में होगा। इन दोनों की मुलाकात आज से सिर्फ तीन महीने पहले हुई है। और इतने कम दिन में ऐसा मानवीय रिश्ता लोगों के लिए एक बड़ा मिसाल है।
शाजू पॉल प्रोफेसर जॉन से कहते हैं, “मेरी अंधेरी जिंदगी में आप प्रकाश बनकर आए हैं।” इसके जवाब में प्रोफेसर जॉन कहते हैं, “हमलोग भाई हैं। हम मानवता के धर्म का पालन करने वाले लोग हैं।”
44 साल के पॉल के लिए यह जिंदगी की दूसरी पारी से कम नहीं है। जुलाई में डॉक्टरों ने जवाब दे दिया था। इसके बाद उनके गांव के लोगों ने एक समिति बनाकर पॉल की किडनी ट्रांसप्लांटेशन के लिए 22 लाख रुपये इकट्ठा किए। एक पादरी की पहल पर एक किडनी डोनर सीधे मरीज के दरवाजे पर पहुंच गया। ये किडनी डोनर प्रोफेसर जॉन हैं। 45 साल के प्रोफेसर जॉन ने अपने परिवार की मर्जी के खिलाफ जाकर पॉल को किडनी दान करने का फैसला किया है। इतना ही नहीं इस दान के लिए उन्हें तीन महीने में केरल का चक्कर तीन बार लगाना पड़ा है और कुल 375 मेडिकल टेस्ट कराने पड़े हैं।
शाजी पॉल कहते हैं कि प्रोफेसर जॉन के आने से पहले तक मुझे लगता था कि मेरी जिंदगी खत्म हो चुकी है। उन्होंने कहा, “जब मुझे ये पता चला कि मेरी दोनों किडनी खराब हो चुकी है। मैं सदमें में था। मैं अपने चार सदस्यों वाले परिवार में अकेला कमाऊ शख्स हूं जो दो वक्त की रोटी का जुगाड़ कर सकता है। घर में मेरी पत्नी शिवी के अलावा दो बच्चे अल्विन और एंजेल हैं। हम सभी परेशान थे। तभी एक दिन प्रोफेसर पॉल हमारे घर भगवान की तरह एक गिफ्ट लेकर आए।”
प्रोफेसर जॉन बताते हैं कि जब उन्होंने शाजी पॉल को किडनी देने का फैसला किया था, उस वक्त उनके पास 5000 रुपये भी नहीं थे। उन्होंने कहा कि फादर डेविस चिरामेल की वजह से ही यह संभव हो पाया। फादर चिरामेल किडनी फाउंडेशन ऑफ इंडिया के अध्यक्ष हैं। इससे पहले साल 2015 में जॉन की मुलाकात फादर चिरामेल से हुई थी। जब उन्होंने दो शर्तों पर अपनी किडनी दान करने की बात कही थी। पहला कि जिसे किडनी दे रहे हैं वो गरीब हो और दूसरा ये कि इसे बहुत प्रचारित-प्रसारित न किया जाय।
