दिल्ली की एक अदालत ने एक महिला को सलाह दी है कि वह नौकरी पाने के लिए ईमानदारी से प्रयास करे। अदालत ने कहा कि वह योग्यता रखती है और उसके अलग हो चुके पति पर वित्तीय बोझ डालने के लिए उसे घर में बेकार बैठे रहने की इजाजत नहीं दी जा सकती। अदालत ने इस बात पर गौर किया कि गुजारा भत्ता मांग रही महिला अपने पति से अधिक योग्यता रखती है और सक्षम है और उसके पास कमाने की क्षमता है। जिला न्यायाधीश रेखा रानी ने गौर किया कि जिस व्यक्ति ने महिला को 12 हजार रुपए का गुजारा भत्ता दिए जाने के खिलाफ अपील दायर की है वह अब उसकी नौकरी ढूंढने में मदद करने को तैयार है और यह भी सहमति जताई है कि वह एक साल के लिए उसे 12 हजार रुपए प्रतिमाह गुजारा भत्ते का भुगतान करेगा।

अदालत ने कहा, ‘‘प्रतिवादी (महिला) ने माना कि वह अपीलकर्ता (व्यक्ति) से अधिक योग्यता धारण करती है। उसने माना कि वह सक्षम व्यक्ति है और उसके पास कमाने की क्षमता है। इसलिए उसे घर पर बेकार बैठने और अपीलकर्ता पर वित्तीय बोझ डालने की जिम्मेदारी डालने की अनुमति नहीं दी जा सकती है। उसे काम ढूंढने में ईमानदार प्रयास करने दें।’’

अदालत ने कहा, ‘‘जैसा व्यक्ति ने पेशकश की है कि अगर महिला को नौकरी ढूंढने में अपीलकर्ता की सहायता की आवश्यकता है तो वह उसे मोबाइल पर एसएमएस या ई-मेल भेजकर बता सकता है।’’ उसने दोनों को आदेश सुनाए जाने से एक सप्ताह के भीतर निचली अदालत के समक्ष अपना मोबाइल नंबर और ई-मेल आदान-प्रदान करने का भी निर्देश दिया।

व्यक्ति ने निचली अदालत के उस आदेश को चुनौती दी थी जिसमें महिला को 12 हजार रुपए प्रतिमाह गुजारा भत्ता दिए जाने का निर्देश दिया गया था। उसने निचली अदालत के आदेश को इस आधार पर चुनौती दी थी कि वह मौद्रिक राहत की हकदार नहीं है क्योंकि वह उससे अधिक योग्यता रखती है और एमएससी में गोल्ड मेडलिस्ट है।