उत्तराखंड के देहरादून निवासी और गढ़वाल राइफल्स के जवान हवलदार राजेंद्र सिंह का सात महीने बाद शव बरामद हुआ है। सिंह करीब सात महीने पहले एलओसी पर पेट्रोलिंग के दौरान वहां हिमस्खलन के बाद से लापता बताए जा रहे थे। बीते शनिवार को उनके परिवार को शव मिलने की जानकारी दी गई। राजेंद्र के परिजनों के मुताबिक मई में भारतीय सेना ने उन्हें ‘युद्ध हताहत’ घोषित क दिया था। प्रदेश के मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत ने इस महीने की शुरुआत में उनकी पत्नी को एक शोक संदेश भी भेजा था। मगर उनकी पत्नी ने ये मानने से इनकार कर दिया कि राजेंद्र की मौत हो गई है, क्योंकि शव अभी तक बरामद नहीं हुआ था।

चार भाई बहनों में सबसे बड़े राजेंद्र साल 2001 में गढ़वाल राइफल्स रेजिमेंट में शामिल हुए। परिवार में पत्नी रजेश्वरी के अलावा दो बेटियां और एक बेटा है। सेना से रिटायर्ड और राजेंद्र के चचेरे भाई दिनेश नेगी ने बताया, ‘राजेंद्र आखिरी बार अक्टूबर, 2019 में दिवाली के लिए घर आए थे। गुलमर्ग में एलओसी पर उनकी तैनाती थी। इस साल 9 जनवरी को सेना ने हमें जानकारी दी कि राजेंद्र सिंह हिमस्खलन के बाद से लापता हो गए हैं।’

Bihar, Jharkhand Coronavirus LIVE Updates

दिनेश कहते हैं कि सेना जब तीन दिन तक राजेंद्र को नहीं खोज सकी। हमने उम्मीद खो दी। साल 2015 में सेना से रिटायर्ड हुए दिनेश कहते हैं, ‘अपनी सर्विस के दौरान मैं सियाचिन में तैनात था। मुझे पता है कि कोई भी दो दिन से अधिक ऐसी बर्फ की चादर में जिंदा नहीं रह सकता है। ये बात मैंने राजेंद्र के परिवार को बताई। मगर उनकी पत्नी राजेश्वरी ने शव ना मिलने तक उनके निधन की बात मानने से इनकार कर दिया। हमने उनकी खोजबीन तेज करने के लिए रक्षा मंत्रालय के अधिकारियों को पत्र लिख अनुरोध भी भेजा।’

प्रदेश के मुख्यमंत्री रावत ने भी रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह से राजेंद्र की खोजबीन के प्रयासों को तेज करने का आग्रह किया था। दिनेश बताते हैं, ‘सेना ने राजेंद्र को मई में ही युद्ध हताहत घोषित कर दिया था। मगर राजेश्वरी और उनके बच्चों को शनिवार दोपहर साढ़े बारह बजे तक राजेंद्र के वापस लौटने की उम्मीद थी। हालांकि तभी सूबेदार मेजर-रैंक के अधिकारी ने फोन कर बताया कि राजेंद्र जहां लापता हुए उसके करीब में ही उनका शव बरामद हुआ है।’