टीवी चैनलों की डिबेट में बढ़-चढ़कर भाग लेने वाले मौलानाओं के लिए यह बुरी खबर है। बरेली की आला हजरत दरगाह ने ऐसे मौलानाओं के खिलाफ फतवा जारी करते हुए कहा है कि डिबेट में भाग लेना हराम है। दरगाह ने ऐसे मौलानाओ की सूची बनाकर उन्हें नोटिस भी जारी करने की तैयारी की है। उधर देवबंद ने बरेली से जारी हुए इस फतवे को खारिज करते हुए इसे बेमतलब बताया है। यह फतवा बरेली निवासी गुलफाम अंसारी की मांग पर आला हजरत दरगाह ने जारी किया है।
दरअसल गुलफाम अंसारी ने दरगाह के आला हजरत दरगाह के फतवा सेल से कहा था कि- ‘‘ महत्वपूर्ण इस्लामी मुद्दों पर टीवी चैनलों पर घटिया बहस आयोजित हो रही है। जहां सस्ती भाषा पैनलिस्ट उपयोग करते हैं। देखने में आता है कि डिबेट के दौरान मौलवी इस्लाम को डिफेंड करने की जगह टीवी पर चेहरा दिखाने में ज्यादा यकीन रखते हैं। क्या ऐसी डिबेट में मौलवियों का भाग लेना उचित है ? ” इस सवाल पर दरगाह ने फतवा जारी करते हुए कहा कि टीवी पर इस तरह से शरीयत से जुड़े मुद्दों पर बहस नहीं हो सकती। शरीयत से जुड़े कायदे-कानून केवल अनुनायियों को बताने के लिए होते हैं। शरीयत ऐसे डिबेट्स को इजाजत नहीं देता। लिहाजा मौलवियों को ऐसी डिबेट्स से दूर रहना चाहिए।
बताया जा रहा है कि इस बार दरगाह ऐसे मौलवियों की सूची तैयार करने में जुटा है जिन्हें अक्सर टीवी चैनलों पर देखा जाता है। उधर दारुल उलूम देवबंद के फतवा विभाग के प्रमुख मौलाना मुफ्ती अरशद फारुकी ने कहा कि बरेली से जारी फतवा बेमतलब है। फारुकी ने कहा कि न्यूज चैनल मुस्लिमों से जुड़े तमाम ज्वलंत मुद्दों पर परिचर्चा करते हैं, ऐसे में मुस्लिमों को अपनी विचारधारा का प्रतिनिधित्व करने के लिए मौजूद होना चाहिए। अगर चैनल निष्पक्ष है और एंकर सही व्यक्ति है तो ऐसी डिबेट में जाने में कोई नुकसान नहीं है। यह हमारी ड्यूटी है कि इस्लाम को सही तरह से लोगों के सामने परिभाषित करें। हालांकि आला हजरत दरगाह के प्रवक्ता मौलाना शाहबुद्दीन ने बताया कि फतवा जायज है। उन्होंने कहा कि टीवी पर इस प्रकार का डिबेट हराम है।
