कन्नौज के रहने वाले प्रदीप कुमार (30) भी उन जवानों में शामिल हैं, जिन्होंने गुरुवार को जम्मू-कश्मीर के पुलवामा में हुए आतंकी हमले में शहादत हासिल की। वे करीब एक महीने की छुट्टी बिताकर कश्मीर लौट रहे थे। प्रदीप की 10 साल की बेटी सुप्रिया ने उनका अंतिम संस्कार किया और रोते हुए बोली, ‘‘ड्यूटी पर लौटते वक्त पापा ने कहा था कि जल्दी ही आऊंगा। वे जल्दी आ भी गए, लेकिन ताबूत के अंदर…’’

आखिरी वक्त में फोन पर हो रही थी बात : सुप्रिया ने बताया, ‘‘धमाके से कुछ देर पहले गुरुवार दोपहर पापा मां नीरजा से फोन पर बात कर रहे थे। उन्होंने उस वक्त सबसे छोटी बहन मान्या के बारे में पूछा। मैंने उनसे बात करने के लिए फोन थामा ही था कि कॉल डिस्कनेक्ट हो गई। इसके बाद दोबारा कॉल मिलाने की कोशिश की तो फोन स्विच्ड ऑफ बताने लगा। वहीं, थोड़ी देर बाद ही आतंकी हमले की खबरें टीवी पर चलने लगीं।’’ सुप्रिया ने बताया कि मैंने सोचा तक नहीं था कि पापा से आखिरी बार बात कर रही हूं।

श्रीनगर में पोस्टिंग पर जा रहे थे सभी जवान : सीआरपीएफ के अधिकारियों ने बताया कि प्रदीप भी जम्मू से श्रीनगर जा रही बस में थे, जिसे जैश-ए-मोहम्मद के आतंकी ने बम धमाके में उड़ा दिया। सीआरपीएफ के 2500 जवानों में से अधिकतर प्रदीप की ही तरह अपने परिवार वालों के साथ वक्त बिताकर पोस्ट पर लौट रहे थे।

अंतिम विदाई देकर बेहोश हुई सुप्रिया : प्रदीप का पार्थिव शरीर शनिवार सुबह कन्नौज पहुंचा तो माहौल गमगीन हो गया। शहीद को देखकर हर किसी की आंख में आंसू थे। वहीं, कई लोग सुप्रिया की कहानी सुनकर रो पड़े। महज 10 साल की सुप्रिया ने ही अपने पिता प्रदीप कुमार को अंतिम विदाई दी। पिता को मुखाग्नि देने के बाद वह बेहोश हो गई। उसके बाद उसे अस्पताल में भर्ती कराया गया।