लागत में कटौती के लिये प्रयासरत कोयला, बिजली, नवीन एवं नवीकरणीय ऊर्जा और पेट्रोलियम एवं प्राकृतिक गैस मंत्रालय नई नई रणनीतियां बना रहे हैं। वे एयरलाइन कंपनियों के साथ केन्द्रीय उपक्रमों के सदस्यों के लिए सस्ता हवाई किराया उपलब्ध कराये जाने पर बातचीत कर रहे हैं। एनएलसी इंडिया के निदेशक (वित्त) राकेश कुमार ने कहा, ‘केन्द्रीय सार्वजनिक उपक्रमों के सदस्यों जिसमें कि 143 संस्थान और 30 उपक्रम शामिल हैं, द्वारा 2014-15 के दौरान हवाई यात्राओं पर कुल मिलाकर 270 करोड़ रुपए खर्च किए गए।’ उन्होंने कहा, ‘यात्रा करने वाले सदस्यों की संख्या को देखते हुये एयरलाइन कंपनियों ने विभिन्न श्रेणियों के हवाई टिकट के बाजार मूल्य पर 22 प्रतिशत तक रियायत देने की पेशकश की है। इससे यह उम्मीद की जा सकती है कि हवाई यात्रा पर आने वाले खर्च में 8 से 10 प्रतिशत तक बचत हो सकती है।’
ऊर्जा क्षेत्र के सार्वजनिक उपक्रमों का एक कार्यबल मार्च 2016 में बनाया गया था। केन्द्र सरकार के ऊर्जा क्षेत्र के उपक्रमों में मांग प्रबंधन के सुदृढ़ीकरण के लिये यह बनाया गया। कार्यबल ने शुरुआती योजना के तहत हवाई यात्रा खर्च की लागत कम करने का काम हाथ में लिया है। कुमार ने बताया कि इस दिशा में कार्यबल ने एक एमओयू पर हस्ताक्षर किए हैं।
एयर इंडिया के चेयरमैन एवं प्रबंध निदेशक अश्वनी लोहानी के साथ विस्तृत बातचीत के बाद नया एमओयू एयर इंडिया के साथ 27 सितंबर को किया गया है। इससे पहले कुछ केन्द्रीय उपक्रमों ने ही अलग अलग एयरलाइनों के साथ इस तरह के समझौते किये थे।

