कोरोना संक्रमण का ख़ौफ़ रिश्तों में भी दरार पैदा कर रहा है। रिश्तेदार, बल्कि खून के नातेदार भी मौत होने पर लाश का दाह संस्कार करने से मुकर रहे है। ऐसा ही एक रिश्तों को शर्मसार करने वाला मामला सामने आया है। जब घर वालों ने बेटे की लाश छूने और अंतिम संस्कार करने से इंकार कर दिया।

भागलपुर के सिटी डाकघर के पीछे घर में एक 35 साल के युवक की मौत गुरुवार को हो गई। बताते है कि उसका निजी डाक्टर के पास किडनी से जुड़ी बीमारी का इलाज चल रहा था। किसी ने यह बात फैला दी कि उसकी मौत कोरोना से हुई है। नतीजतन उनके रिश्तेदार खबर पाकर आए जरूर । मगर कोरोना से मौत होने की भनक मिलते ही एक-एक कर खिसक लिए। 70 साल के बुजुर्ग पिता के लिए यह संकट खड़ा हो गया कि मृत बेटे की लाश को उठाने चार कंधे कहां से लाए?

बताते है कि किसी ने पूर्व उपमहापौर व वार्ड 19 की पार्षद प्रीति शेखर को फोन पर सूचना दी। चूंकि मामला उन्हीं के वार्ड से जुड़ा था। थाना तातारपुर पुलिस भी खबर पाकर मौके पर पहुंची। प्रीति शेखर ने नगर निगम को फोन कर शव वाहन मंगवाया। मगर कोरोना से हुई मौत सुन ड्राइवर शव वाहन को चुपके से लेकर सरक गया। फोन करने पर शव ढोने से इंकार कर दिया।

प्रीति शेखर बताती है कि नगर निगम के उप आयुक्त को फोन किया तो उन्होंने रिसीव नहीं किया। यही हाल सिविल सर्जन का था। बाद में मृतक की कोरोना जांच का नमूना लेने किसी तरह आरजू मिन्नत कर बुलवाया गया। नमूना लिया गया। जिसकी जांच रिपोर्ट शुक्रवार शाम या शनिवार तक आने की उम्मीद है।

इसके बाद अंतिम संस्कार के लिए बरारी श्मसान घाट ले जाने की बात आई तो सभी ने किनारा कर लिया। आखिरकार पासपड़ोस के संदीप, अभिजीत, प्रतीक जैन के सहयोग से चार मजदूर बुलवाकर पार्षद प्रीति ने शव को भिजवाया। मगर साथ में कोई रिश्तेदार नहीं गया। पिता की ममता को यह गवारा नहीं हुआ। तो बेटे के शव को भाड़े की गाड़ी पर रख साथ गए। फोटो कैप्‍शन- पार्षद प्रीति शेखर , पुलिस व पड़ोस के कुछ लोग शव उठाने के लिए मजदूरों का इंतजाम करते देखे गए।