आम आदमी पार्टी का कलह थमने का नाम नहीं ले रहा। शनिवार को आप नेता मयंक गांधी ने आरोप लगाया है कि राजनीतिक कार्य समिति (पीएसी) से प्रशांत भूषण और योगेंद्र यादव को हटाने के फैसले पर उनके आवाज उठाने के बाद पार्टी में फैसला लेने वाला एक छोटा समूह उन्हें निशाना बना रहा है और कहा कि उन्हें पार्टी छोड़ने के लिए मजबूर किया जा सकता है। इसके साथ ही टीम अण्णा के पूर्व सदस्य मुफ्ती शमून कासमी ने बिजनौर में कहा कि उन्होंने जब पारदर्शिता और इंडिया अगेंस्ट करप्शन को मिलने वाले चंदे का मामला उठाया था तो अरविंद केजरीवाल ने उन्हें अण्णा की टीम से बाहर निकलवा दिया था। दूसरी ओर शनिवार को केजरीवाल खेमा भी सक्रिय हुआ।
महाराष्ट्र की आप नेता अंजलि दमानिया ने प्रशांत भूषण पर आरोप लगाए कि वे दिल्ली में आप की हार चाहते थे।
मयंक गांधी ने कहा कि सोशल मीडिया पर उन्हें पार्टी विरोधी और एके (अरविंद केजरीवाल) विरोधी साबित करने के लिए मुहिम छेड़ दी गई है। गांधी ने कहा कि यादव और भूषण को भी इसी तरह अपमानित करने और बाहर निकालने की कोशिश हो रही थी लेकिन पार्टी नहीं छोड़कर उन दोनों ने इनके मंसूबों पर पानी फेर दिया।
उन्होंने पार्टी की ओर से पाबंदी को तोड़ते हुए एक ब्लॉग में लिखा है कि कीमत चुकानी पड़ सकती है। दिल्ली में फैसला लेने वालों का एक छोटा समूह अनौपचारिक बीबीएम ग्रुप से मुझे पहले ही निकाल चुका है। आशीष खेतान और दूसरों की तरफ से मुझ पर हमला शुरू हो गया है। आप नेता की ओर से लिखे गए एक ताजा ब्लॉग में यह टिप्पणी की गई है। बुधवार को राष्ट्रीय कार्यकारिणी की बैठक में वोटिंग से वे अनुपस्थित रहे थे।
खेतान ने गांधी पर निशाना साधते हुए कहा था कि कुछ लोग ब्लॉग लिखते हैं और साक्षात्कार देते हैं तो कुछ लोग इतिहास बनाते हैं। कुछ लोग दिन भर टेलीविजन साक्षात्कार देते हैं तो कुछ लोग दिल्ली और देश की प्रगति के लिए काम करते हैं। पार्टी के कुछ असंतुष्ट सदस्य उन्हें पार्टी विरोधी और केजरीवाल विरोधी साबित करने की कोशिश कर रहे हैं।
गांधी ने दावा किया कि वे न तो पार्टी नेतृत्व के खिलाफ बगावत कर रहे हैं न ही अपनी ओर ध्यान खींचना चाहते हैं। वे सिर्फ पारदर्शिता के उच्च सिद्धांतों को बरकरार रखने की मांग कर रहे हैं। गुरुवार को ब्लॉग में गांधी ने भूषण और यादव को पीएसी से हटाने पर हैरानी जाहिर की थी और जिस तरीके से उन्हें हटाया गया था उसकी आलोचना की थी।
उन्होंने कहा कि वे तब स्तब्ध रह गए थे जब मनीष सिसोदिया ने यादव और भूषण को हटाने का प्रस्ताव पेश किया था जबकि दोनों ने खुद ही हटने की पेशकश की थी। एक स्वयंसेवक आप को अपनी पहचान मानता है लेकिन उनके, कमेटियों के और उनके अपारदर्शी फैसलों के बीच जो दीवार बनी है, उससे वे विमुख हो रहे हैं।
वहीं मौजूदा विवाद के बीच टीम अण्णा के पूर्व सदस्य मुफ्ती शमून कासमी ने कहा है कि उन्होंने जब पारदर्शिता और इंडिया अगेंस्ट करप्शन को मिलने वाले चंदे का मामला उठाया था तो अरविंद केजरीवाल ने उन्हें अण्णा की टीम से बाहर निकलवा दिया था। कासमी ने कहा कि वे टीम अण्णा में रहकर जिन मुद्दों को उठा रहा थे, प्रशांत भूषण भी उन्हीं मुद्दों को उठा रहे हैं। उन्होंने कहा कि मैंने जब बैठकों की कार्यवाही में पारदर्शिता लाने और इंडिया अगेंस्ट करप्शन के चंदे को पीसीआरएफ में डालने की बात कही थी, उसी समय लोगों ने उनका साथ दिया होता तो आज आप में तानाशाही की समस्या खड़ी नहीं होती। उन्होंने कहा कि टीम अण्णा की बैठकों में भी चंद लोग फैसले करते थे। बाकी लोगों का काम उन पर सिर्फ मुहर लगाना होता था। लेकिन वे उस वक्त भी अपना विरोध दर्ज कराते थे और इसीलिए केजरीवाल को उनका अण्णा टीम में रहना बर्दाश्त नहीं था।