छत्तीसगढ़ के कांकेर जिले के बड़ेतेवड़ा गांव में बृहस्पतिवार को एक मृत ग्रामीण को दफनाने को लेकर दो समुदायों के बीच विवाद के बाद हिंसा भड़क गई। अधिकारियों ने बताया कि झड़प के दौरान, ग्रामीणों ने एक समुदाय के प्रार्थना सभागार में तोड़फोड़ की और उसके अंदर रखी चीजों में आग लगा दी। इस घटना में कई ग्रामीण और एक अतिरिक्त पुलिस अधीक्षक सहित 20 से ज्यादा पुलिसकर्मी घायल हुए हैं। अधिकारियों ने बताया कि बाद में स्थिति को नियंत्रण में कर लिया गया।

अधिकारियों ने बताया कि 16 दिसंबर को जिले के आमाबेड़ा पुलिस थाना क्षेत्र के बड़ेतेवड़ा गांव के सरपंच राजमन सलाम ने अपने पिता के शव को गांव में अपनी निजी जमीन पर दफनाया था। सलाम ने ईसाई धर्म अपना लिया था लेकिन कुछ ग्रामीणों ने ईसाई रीति-रिवाजों के अनुसार दफन किए जाने पर आपत्ति जताई।

ग्रामीणों ने शव को बाहर निकालने की मांग करते हुए दफन करने का विरोध किया

अधिकारियों ने बताया कि बड़ेतेवड़ा गांव के निवासी चमरा राम सलाम की 16 दिसंबर को बीमारी के कारण मौत हो गई थी। बाद में उनके बेटे ने अपनी निजी संपत्ति पर अपने पिता के शव को दफना दिया था। उन्होंने बताया कि कुछ ग्रामीणों ने मौत पर संदेह जताया और शव को बाहर निकालने की मांग करते हुए दफ़न करने का विरोध किया। अधिकारी ने बताया कि उन्होंने आरोप लगाया कि दफ़न स्थानीय पारंपरिक रीति-रिवाजों के अनुसार नहीं किया गया था।

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अधिकारी ने बताया कि ग्रामीणों की शिकायत के आधार पर कार्यपालिक दंडाधिकारी द्वारा विधिक प्रावधानों के अनुसार शव को बाहर निकालने का आदेश जारी किया गया। पंचनामा और पोस्टमार्टम की प्रक्रिया पूरी की जाएगी और उसके बाद आवश्यक कार्रवाई की जाएगी। अधिकारियों ने बताया, ‘‘इस मुद्दे को लेकर गांव में तनाव की स्थिति उत्पन्न हो गई। ग्रामीण आमने-सामने आ गए और पत्थरबाजी की घटना हुई।

कांकेर: 20 से अधिक पुलिसकर्मी घायल

पुलिस द्वारा स्थिति को नियंत्रित करने के लिए आवश्यक कदम उठाए गए हैं। घटना के दौरान संपत्तियों को भी नुकसान पहुंचा है।’’ उन्होंने बताया कि घटना में अंतागढ़ के अतिरिक्त पुलिस अधीक्षक आशीष बंछोर सहित 20 से अधिक पुलिसकर्मी घायल हुए हैं। घायल पुलिसकर्मियों को प्राथमिक उपचार के बाद बेहतर उपचार के लिए रेफर किया गया है। अधिकारियों ने बताया कि स्थिति नियंत्रण में है और शांति बहाल करने के प्रयास जारी हैं।

वहीं, 17 दिसंबर को जारी एक वीडियो बयान में, राजमन सलाम ने कहा कि उनके पिता की 15 दिसंबर की शाम को कांकेर के एक अस्पताल में बीमारी के कारण मौत हो गई थी। अगली सुबह पार्थिव शरीर को गांव लाया गया जिसके बाद उन्होंने ग्राम पंचायत सदस्यों और गांव के बुजुर्गों को बताया कि उन्होंने ईसाई धर्म अपना लिया था लेकिन उनके पिता चर्च नहीं जाते थे।

ईसाई रीति-रिवाजों के अनुसार अंतिम संस्कार पर विवाद

राजमन सलाम ने कहा कि उन्होंने अनुरोध किया था कि उनके पिता को गांव के पारंपरिक रीति-रिवाजों के अनुसार दफनाया जाए और उन्हें इसमें शामिल होने की अनुमति दी जाए। राजमन सलाम ने आरोप लगाया कि एक राजनीतिक प्रतिद्वंद्वी जो उनसे सरपंच का चुनाव हार गया था, उसने उनके शामिल होने का विरोध किया।

सलाम ने कहा, ‘‘मुझे शामिल होने की अनुमति नहीं दी गई इसलिए मैंने अपने करीबी दोस्तों को बुलाया और अपने ईसाई रीति-रिवाजों के अनुसार अंतिम संस्कार किया।’’ उन्होंने आरोप लगाया कि पंचायत चुनाव हारने वालों ने बाहरी लोगों को इकट्ठा किया और शव को कब्र से निकालने की मांग करते हुए विरोध प्रदर्शन किया। अधिकारियों ने बताया कि गांव में तनाव बढ़ने से रोकने के लिए, पुलिस ने बाहरी लोगों के प्रवेश पर रोक लगा दी है तथा इलाके में अतिरिक्त बल तैनात किया गया है।

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(इनपुट-भाषा)