सैकड़ों करोड़ रुपए के सृजन घपले में एक आईएएस वीरेंद्र प्रसाद यादव के खिलाफ अदालत में आरोप पत्र दाखिल होने से यहां पदस्थापित रहे डीएम और डीडीसी में खलबली मच गई है। वीरेंद्र 2014-2015 में भागलपुर ज़िलाधीश ओहदे पर तैनात थे। फिलहाल पिछड़ा वर्ग कल्याण महकमा के पटना में सचिव है। सीबीआई वकील एएच खान ने बताया कि इनके साथ दस सरकारी व बैंक और सृजन से जुड़े अधिकारियों व कर्मचारियों के खिलाफ आरोप पत्र दाखिल किया है।
ध्यान रहे सीबीआई सृजन घोटाले की जांच कर रही है। इस मामले में पच्चीस से ज्यादा एफआईआर दर्ज की गई है। जिनमें से आधे से ज्यादा में चालीस लोगों के खिलाफ आरोप पत्र दाखिल किया जा चुका है। जल्द ही दूसरे मामलों में भी आरोप पत्र सीबीआई दायर करेगी।
जिनके खिलाफ आरोप पत्र दाखिल किया गया है उनमें सरकारी व बैंक के अधिकारी-कर्मचारी और सृजन से जुड़े लोग है। इनमें ज्यादातर जेल में है। सृजन महिला विकास सहयोग समिति की संस्थापक मनोरमा देवी का निधन फरवरी 2017 में हो चुका है। घोटाला इनके देहांत के बाद उजागर हुआ था। आरोप पत्र में सीबीआई ने इनको भी मृत्युपरांत आरोपी बनाया है। इनका बेटा अमित कुमार और पुत्रबधू प्रिया कुमार भी आरोपी है । मगर घोटाला सामने आते ही ये फरार हो गए। सीबीआई ने इनपर 25-25 हजार रुपए का इनाम घोषित कर रखा है।
इसके अलावे दो डिप्टी कलेक्टर रैंक के कल्याण महकमा के बर्खास्त अधिकारी अरुण कुमार और भूअर्जन के अधिकारी रहे राजीव रंजन भी जेल में है। मगर अरुण कुमार की आरोपी पत्नी इंदु गुप्ता अब भी सीबीआई गिरफ्त के बाहर है। इनके बैंक खाते में डेढ़ करोड़ रुपए जमा मिले थे। पुलिस की एसआईटी ने इस खाते में लेनदेन पर रोक लगाई थी। यों सृजन मामले में 75 से ज्यादा बैंक खातों पर रोक लगाई हुई है। इनमें सरकारी महकमों के भी खाते है।
सीबीआई के सरकारी वकील एएच खान के मुताबिक आईएएस वीरेंद्र प्रसाद यादव के साथ दस जनों के खिलाफ आरोप पत्र दायर किया गया है। यह एक एफआईआर की चार्जशीट है। सरकारी बैंक खातों से सृजन के खातों में सरकारी धन राशि ट्रांसफर कर डकार जाने का खेल 2004 से ही चल रहा है। मगर 2010 के बाद रफ्तार पकड़ लिया। इस दौरान आईएएस संतोष कुमार मल्ल, वंदना प्रेयसी, नर्मदेश्वर लाल, प्रेम सिंह मीणा, बी कार्तिकेय, बीरेंद्र प्रसाद यादव और आदेश तितमारे ज़िलाधीश ओहदे पर रहे है। इसी तरह डीडीसी पद पर भी आधा दर्जन से ज्यादा तैनात थे। और सभी सृजन महिला विकास सहयोग समिति पर मेहरबान थे।
भरोसे लायक सूत्र बताते हैं कि सीबीआई जांच में तेजी आते ही आलाधिकारियों में इस बात की खलबली बढ़ी है कि अब सीबीआई आईएएस अधिकारियों के गिरेबान तक पहुंच रही है। बहरहाल देखना है वीरेंद्र प्रसाद यादव की लाइन में कौन-कौन आईएएस अधिकारी आते है।

