केंद्र सरकार ने गुरु ग्रंथ साहिब को विशेष अधिकार देने के मामले में पंजाब सरकार का साथ देने से मना कर दिया है। पंजाब सरकार ने पिछले साल एक बिल पास किया था जिसके अंतर्गत गुरु ग्रंथ साहिब को अपवित्र करने और उसका अपमान करने वालों को तीन साल की सजा से लेकर आजीवान कारावास तक की मांग की गई थी। लेकिन केंद्र ने इस बिल को वापस लौटा दिया। केंद्र ने कहा कि सभी धर्मों के साथ एक जैसा बर्ताव किया जाना चाहिए और ऐसा होता भी है। किसी एक धर्म के लिए ऐसे नियम बदलना मुमकिन नहीं है।

सूत्र ने बताया कि केंद्र ने पंजाब सरकार को कहा है कि या तो बिल को वापस ले लिया जाए या फिर इसमें बदलाव करके सभी धर्मों को जोड़ा जाए। इसके बाद गृह मंत्रालय ने इस बिल से जुड़ी फाइलों को पंजाब के सीएम ऑफिस वापस भेज दिया है। अब सीएम अमरिंदर सिंह से बात करके कुछ फैसला लिया जाएगा। मिली जानकारी के मुताबिक, गृह मंत्रालय ने 16 मार्च 2017 को ये फाइल वापस भेजी। उस दिन ही अमरिंदर सिंह ने पंजाब के नए मुख्यमंत्री के रूप में शपथ ली थी।

यह बिल पिछले साल मार्च में SAD-BJP की सरकार के वक्त पास हुआ था। जिसे बाद में केंद्र के पास भेजा गया था। उस वक्त अक्टूबर 2015 में गुरु ग्रंथ साहिब के अपमान का मामला सामने आया था। उस वक्त भी कांग्रेस विपक्ष में थी और उनके विधायक त्रिलोचन सिंह ने यह मुद्दा उठाया भी था कि सभी धर्मों के लिए समान कानून बनना चाहिए। लेकिन उसको रिजेक्ट कर दिया गया। बता दें कि सिख गुरु ग्रंथ साहिब को अपना आखिरी जीवित गुरु मानते हैं। अकाली विधायक उसका अपमान करने वालों को आजीवान कारावास की सजा देने का समर्थन करते रहे हैं।