कर्नाटक के कोलार जिले में 100 स्‍टूडेंट्स ने अपना स्‍कूल सिर्फ इसलिए छोड़ दिया, क्‍योंकि वहां दलित महिला राधाम्‍मा उनके लिए मिड-डे मील पकाया करती थी। मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक, आरोप है कि दलित महिला के खाना पकाने पर स्‍डूडेट्स के पेरेंट्स को ऐतराज था। गांव वाले महिला को तुरंत हटाने की मांग कर रहे हैं। उनका शर्त है कि जब तक महिला को हटाया नहीं जाता, तब तक वे अपने बच्चों को स्कूल नहीं भेजेंगे। कोलार जिले में  कागानाहाली मिडिल स्कूल में 118 में से अब सिर्फ 18 बच्चे ही पढ़ने आते हैं और इनमें से भी 5 ही बच्‍चे ऐसे हैं, जो दलित महिला के हाथ का पका खाना चाते हैं। दलित महिला को एक साल पहले ही स्‍कूल में नौकरी पर रखा गया था।

जानकारी के मुताबिक जिला शिक्षा अधिकारी ने गांव के लोगों के साथ बैठक कर मामला शांत करने की पूरी कोशिश की, लेकिन मामला सुलझ नहीं सका। अब तो अभिभावक स्कूल के टीचर्स को भी बदलने की मांग कर रहे हैं। कागानाहाली 101 परिवारों वाला छोटा-सा गांव है, जिसकी आबादी 452 है। गांव में करीब 40% आबादी अनुसूचित जनजाति (ST) है, जबकि 18.14% राधाम्‍मा की तरह दलित है। बाकी ओबीसी के खुरुबास और वोक्‍कालीगास शामिल हैं।

मिड डे मील पकाने वाली राधाम्मा ने बताया कि स्कूल में सिर्फ पांच ही बच्चे उनके साथ का पका खाना खाते हैं। उन्होंने कहा, ‘जब मैंने स्कूल में नौकरी शुरू की तो बच्चों ने मिडडे मील और दूध पीना बंद कर दिया। मैं बच्चों से क्या कहती, उनके माता-पिता ने ही उन्‍हें ऐसा करने के लिए कहा था।’ स्कूल के इंचार्ज वाई. एम. वेंकटाचालपथी का कहना है कि बच्चों के स्कूल नहीं आने और मिड डे मील खाना छोड़ने के पीछे पिछले पंचायत चुनाव में हुई पॉलिटिक्‍स असली वजह है।