बीते हफ्ते मारे गए हिजबुल कमांडर बुरहान मुजफ्फर वानी ने 2010 में 15 साल की उम्र में आतंकवाद से नाता जोड़ा था। पुलिस के मुताबिक, उसके खिलाफ कुल छह मामले दर्ज थे। वह हिजबुल के उन नए रंगरूटों में शामिल था, जो हथियारों की तालीम लेने लाईन ऑफ कंट्रोल के पार नहीं गए। सूत्रों ने बताया कि वानी के खिलाफ पहला मामला 2012 में अवंतीपुरा पुलिस स्टेशन में दर्ज हुआ था। यह थाना उसके घर तराल के बेहद करीब है। यह एफआईआर उस वक्त दर्ज की गई थी, जब आतंकियों ने एक गांव के सरपंच अब्दुल अहद रादर पर हमला करके उन्हें घायल कर दिया था। रादर पीडीपी से ताल्लुक रखते थे।
पुलिस ने एक अन्य मामले में बुरहान के खिलाफ मामला दर्ज किया, जब आतंकियों ने अवंतीपुरा के गुलामबाग के रहने वाले एक अन्य सरपंज कुतुबुद्दीन पर हमला किया। सूत्रों ने बताया कि सेना के खिलाफ बुरहान के आतंकी गतिविधियों में शामिल होने का पहला मामला बुचू एनकाउंटर में दर्ज किया गया। इसमें तीन सैन्यकर्मी शहीद हुए थे। सूत्रों के मुताबिक, 24 मई 2013 को रजिस्टर इस एफआईआर में बुरहान का भी नाम शामिल था। इस मुठभेड़ में एक आतंकी सैफुल्ला भी मारा गया था। सूत्रों का कहना है कि बुरहान का नाम एफआईआर संख्या 24/2015 में भी दर्ज है। बीते साल बुरहान की ओर से जारी एक वीडियो मैसेज के मामले में भी उसके खिलाफ केस (FIR 91/2015) दर्ज किया गया। उसके खिलाफ एक अन्य केस FIR 80/2016 अवंतीपुर थाने में इस साल भी दर्ज हुआ। यह केस भी वीडियो मैसेज के मामले में दर्ज किया गया था।
FIR 39/2016 में जिन दो आतंकियों परवेज डार और जाकिर रशीद का नाम दर्ज है, वे दोनों भी वानी के ग्रुप के ही माने जाते थे। इन दोनों पर नूरपुरा की एक महिला हमीदा की हत्या का आरोप था। महिला के कथित तौर पर पुलिस का खबरी होने की वजह से हत्या कर दी गई।